भारत की पिछले 12 साल की औसतन 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर आम आदमी के जीवन में महत्वपूर्ण सुधार लाने में नाकाम रही है। यह बात जाने-माने विकास अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कही है।
अरविंद सुब्रमणियन ने कहा, अगर वैश्विक आर्थिक माहौल का समर्थन मिले तो भारतीय अर्थव्यवस्था अगले दस साल तक 8 फीसदी से अधिक वृद्धि दर हासिल कर सकती है।
ADB ने 2016 के लिए एशिया क्षेत्र के वृद्धि दर के अनुमान को मामूली घटा दिया है। हालांकि, भारत इस साल 7.4 फीसदी वृद्धि दर हासिल करेगा।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा, भारत में अब आर्थिक वृद्धि बेहतर तरीके से हो रही है और वृद्धि चक्र की तेजी के लिए रोजगार वृद्धी की जरुरत है।
मारुति ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए उसका डबल डिजिट ग्रोथ का लक्ष्य पटरी पर है। हालांकि, जून में मानेसर में में आग लगने की वजह से उत्पादन को नुकसान हुआ।
रघुराम राजन ने उम्मीद जताई कि उनका उत्तराधिकारी और नई मौद्रिक समिति (एमपीसी) आने वाले समय में मुद्रास्फीति को कम से कम रखने के रास्ते पर आगे बढ़ते रहेंगे।
भारत की आर्थिक वृद्धि चालू वित्त वर्ष के दौरान अच्छे मानसून और विनिर्माण में तेजी के साथ आठ फीसदी को पार कर जाएगी।
ICD का कहना है कि सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बने रहने के साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 7.5 फीसदी बने रहने की उम्मीद है।
मोर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र खर्च बढ़ने तथा FDI में वृद्धि के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि में सुधार व्यापक हुआ है।
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी HSBC के अनुसार देश की वार्षिक जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में स्वत: ठीक करते हुए 7.4 फीसदी के स्तर पर बनी रह सकती है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम का मानना है कि इंडियन इकोनॉमी दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले कहीं अधिक मजबूती के साथ खड़ी है।
भारत में आतंकवादी अटैक का अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। मूडीज का अध्ययन बताता है कि अटैक से आर्थिक गतिविधियां उल्लेखनीय रूप से कमजोर हुई हैं।
नीतीश कुमार के सामने अब अगली चुनौती स्थायी सरकार का गठन और बिहार की अर्थव्यवस्था में तेज विकास लाना है।
सितंबर में कोर इंडस्ट्री की ग्रोथ 3.2 फीसदी रही, जो कि पिछले 4 महीने में सर्वाधिक है। इस दौरान बिजली और उर्वरक उत्पादन में सबसे ज्यादा तेजी दर्ज की गई।
बीते तीन दिनों में दो बड़ी इंटरनेशनल संस्थाओं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और वर्ल्ड बैंक ने भारत की इकोनॉमी को लेकर सकारात्मक नजरिया रखा है।
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