चालू वित्त वर्ष के लिए औसत मासिक सकल संग्रह 1.67 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष के 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
GST प्रशासन ने हाल ही में हजारों फर्जी कंपनियों का भंडाफोड़ किया है। इतनी बड़ी संख्या में हो रहे GST फर्जीवाड़े पर सरकार अब अलर्ट मोड में आ गई है।
पिछले महीने हुई जीएसटी परिषद की 49वीं बैठक में राज्यों के मंत्रियों की एक समिति की अपीलीय न्यायाधिकरण को लेकर रिपोर्ट कुछ बदलावों के साथ स्वीकार कर ली गई थी।
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल परिषद अपनी अगली बैठक में घरों और दुकानों के किराए में 12 फीसदी तक की बढ़त करने वाले प्रस्ताव को पेश करने वाली है।
ऐतिहासिक जीएसटी व्यवस्था को बहुत सारे केंद्रीय और राज्य करों को समाप्त करने के उद्देश्य के साथ 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया।
आम बजट 2020 से पहले मोदी सरकार के लिए एक और राहत की खबर आई है। जनवरी में वस्तु और सेवा कर (GST) संग्रह जनवरी में फिर एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रहा।
माल एवं सेवाकर नेटवर्क (जीएसटीएन) 22 अक्टूबर यानी मंगलवार को जीएसटी रिटर्न भरने के नए संस्करण को जारी करेगा। जिसका मकसद रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बनाना है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वीकार किया है कि मौजूदा रूप में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कुछ खामियां हो सकती हैं।
वाहन कल-पुर्जा उद्योग ने सभी कल-पुर्जों पर एक समान 18 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने की शुक्रवार को मांग की। उद्योग जगत का कहना है कि इससे कंपनियों को रोजमर्रा की जरूरतों को लेकर लिए गए ऋण का इस्तेमाल दीर्घकालिक उद्देश्यों में करने में मदद मिलेगी।
पूर्वोत्तर राज्यों में माल एवं सेवा कर संग्रह वित्त वर्ष 2019-20 के पहले चार महीनों में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि विनिर्माण वाले बड़े राज्यों के मुकाबले अधिक है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में वृद्धि पूर्वोत्तर के सातों राज्यों में दर्ज की गयी। यह राष्ट्रीय औसत 9 प्रतिशत के मुकाबले तीन गुना अधिक है।
आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2019 में केंद्रीय जीएसटी संग्रह 17,912 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी 25,008 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी 50,612 करोड़ रुपये रहा।
इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं के मंच 'सोसाइटी आफ मैन्यूफैक्चरर्स आफ इलेक्टि्क वीकल्स (एसएमईवी)' ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर घटाकर पांच प्रतिशत किये जाने का स्वागत किया है।
वित्त मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि जनवरी में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से कुल संग्रह 1.02 लाख करोड़ रुपये रहा है। यह पिछले साल अप्रैल के बाद किसी भी एक महीने में हुआ दूसरा सबसे बड़ा संग्रह है।
दिसंबर 2018 में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह घटकर 94,726 करोड़ रुपए रहा है। इससे पहले नवंबर में 97,637 करोड़ रुपए रहा था।
एक साल पहले देश में लागू हुई नई टैक्स व्यवस्था गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के तहत अभी तक जितनी वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लग रहा है उनमें और वस्तुएं शामिल हो सकती हैं, खुद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसके संकेत दिए हैं। वित्त मंत्री ने इसके अलावा भविष्य में GST की दरों के ढांचे को और आसान बनाने की बात भी कही है।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने आज उम्मीद जताई कि पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में ला दिया जायेगा। GST के दायरे में आने से ईंधन की कीमतों में उतार - चढ़ाव को कम करने में मदद मिलेगी। प्रधान ने गुरुवार को उड़ीसा के भुवनेश्वर में कहा कि लंबी अवधि में पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाना तय है। धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में काफी हद तक अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
वित्त मंत्रालय ने आज यह बताया कि मई में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से राजस्व संग्रह 94,016 करोड़ रुपए रहा। मई में राजस्व संग्रह अप्रैल की तुलना में कम है। अप्रैल में रिकॉर्ड 1,03,458 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल की 27वें दौर की बैठक शुक्रवार को होने जा रही है। बैठक आम लोगों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी।
e-Way Bill: GST के तहत पहली अप्रैल से सामान और वस्तुओं की सप्लाई करने वाले हर ट्रांस्पोर्टर को सप्लाई किए जाने वाले सामान का e-Way Bill प्राप्त करना होगा बशर्ते सप्लाई होने वाली वस्तुओं या सामान की कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा हो
कारोबारियों को हर माह तीन रिटर्न भरती होती थी जबकि एक सालाना रिटर्न दाखिल करनी होती थी। कुल मिलाकर उन्हें साल में 37 रिटर्न दाखिल करनी होती हैं
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