अमेरिकी बेरोजगारी दावों और जीडीपी डेटा सहित प्रमुख अमेरिकी मैक्रो डेटा जारी होने से पहले व्यापारी सतर्क रहे। इस सप्ताह सोने की कीमतों में सुस्ती बनी हुई है, क्योंकि बाजार शुक्रवार को व्यक्तिगत उपभोग व्यय (पीसीई) डेटा का इंतजार कर रहा है।
आने वाले महीनों में भारत और चीन जैसे प्रमुख बाजारों में सोने की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे कीमतों को और समर्थन मिलेगा। सोने की कीमत में तेजी रहने की संभावना है।
बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी और डॉलर इंडेक्स में सुधार के कारण शुक्रवार को भी पीली धातु में गिरावट जारी रही। बाजार को अमेरिकी फेड द्वारा दरों में संभावित कटौती की उम्मीद है, इसलिए सोने को समर्थन मिलने की संभावना है।
बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा धातु पर आयात शुल्क में कटौती की घोषणा के बाद सोने की कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की गई। 23 जुलाई को यह पीली धातु 3,350 रुपये गिरकर 72,300 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई थी।
जानकार बताते हैं कि भू-राजनीतिक तनाव के कारण सोने की सुरक्षित आश्रय मांग में वृद्धि हुई। सोने की कीमतें अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद स्थिर से मजबूत हो रही हैं।
सोने में मंगलवार को तेजी आई क्योंकि सुरक्षित-संपत्तियों की मांग ने कीमती धातु की तेजी को समर्थन देना जारी रखा। सोने की कीमतों में तेजी की वजह खुदरा खरीदारों के साथ-साथ आभूषण विक्रेताओं की बढ़ती मांग भी रही।
सोने की कीमतों में तेजी का श्रेय स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की बढ़ी हुई मांग और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूती के रुख को दिया गया। जानकार ने कहा कि पश्चिम एशिया संकटों के बीच भू-राजनीतिक चिंताओं ने सोने की सुरक्षित-निवेश विकल्प के रूप में मांग को बढ़ावा दिया।
कमोडिटी बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले महीनों में सोने की कीमत में बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा। सोना एक रेंज बाउंड में ट्रेड करेगा।
सिक्का निर्माताओं और औद्योगिक इकाइयों की ओर से कमजोर उठान के कारण चांदी की कीमत में गिरावट आई। भू-राजनीतिक तनाव जारी रहने से बढ़ते जोखिम ने पीली धातु के मूल सिद्धांतों को मजबूत रखा है।
व्यापारियों ने सोने की कीमतों में गिरावट के पीछे घरेलू सीमा शुल्क में कमी और वैश्विक प्रभावों को जिम्मेदार ठहराया। 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी 350 रुपये गिरकर 71,000 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया।
सोने की कीमतों में वृद्धि का श्रेय खुदरा खरीदारों के साथ हाल ही में सीमा शुल्क में कटौती के कारण आभूषण विक्रेताओं की बढ़ती मांग को दिया। घरेलू मांग बढ़ने और मजबूत वैश्विक रुख के कारण बहुमूल्य धातुओं में यह हलचल देखने को मिली।
सोने और चांदी पर सीमा शुल्क में कटौती की सरकार की बजट घोषणा के कारण हुई तीव्र गिरावट से उबरते हुए सोने में लगातार तीसरे दिन तेजी आई।
जिंस बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय बाजारों में सोने की मांग अधिक बनी हुई है, जो हाल ही में आयात शुल्क में कटौती और आगामी त्योहारी सीजन के कारण है। बाजार विश्लेषकों ने कहा कि कारोबारियों द्वारा ताजा सौदों की लिवाली करने से चांदी वायदा कीमतों में तेजी आई।
विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने कहा कि रिकॉर्ड उच्च कीमतों के कारण जून, 2024 तिमाही के दौरान भारत की सोने की मांग पांच प्रतिशत घटकर 149.7 टन रह गई।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में सीमा शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत करने की घोषणा की थी। इसका असर घरेलू सर्राफा बाजार पर देखने को मिल रहा है। डिमांड में भी कमी के चलते बहुमूल्य धातुओं की कीमत कम हुई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में सोने तथा चांदी पर मूल सीमा शुल्क 15 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत करने की घोषणा के बाद मंगलवार को दिल्ली में सोने की कीमत 3,350 रुपये की गिरावट के साथ 72,300 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई थी।
अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद ने जीएसटी परिषद से आभूषणों पर कर की दर मौजूदा तीन प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत करने की अपील की है।
जानकार मानते हैं कि सोने का भाव आने वाले समय में भी नरम रुख अपनाएगा। दुनिया में जारी तनाव अगर आगे कम होंगे तो सोने का भाव और भी नीचे आएगा।
सोने की कीमतों में तेजी का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूती के रुख तथा स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की ताजा मांग को बताया। पिछले कारोबारी सत्र में शनिवार को सोना 75,550 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
कर्नाटक के शहरों में भी मुंबई या दिल्ली की तुलना में सोना सस्ता है। दक्षिण के कुछ शहरों में सोने की कीमत उत्तर और पश्चिम की तुलना में बहुत सस्ती है।
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