Recession: मंदी ने अब धीरे-धीरे अपना विकराल रूप लेना शुरू कर दिया है। हजारों की संख्या में कंपनियां अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों को निकाल रही हैं। कुछ एक्सपर्टRecession: मंदी ने अब धीरे-धीरे अपना विकराल रूप लेना शुरू कर दिया आने वाले समय को और खराब बता रहे हैं। आइए जानते हैं कि भारत पर इसका क्या असर पड़ रहा है?
जब दुनिया मंदी के चपेट में होगी तब भारत विकास की नई लकीर खींच रहा होगा। दुनिया भारत को सलाम ठोकेगी, क्योंकि भारत अकेला ऐसा देश होगा जो वैश्विक मंदी के बीच पूरे एशिया में सबसे तेज तरक्की करेगा।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति में भारत कहीं अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। जहां तक मुद्रास्फीति का सवाल है तो यह मांग से नहीं बल्कि आपूर्ति से जुड़ा हुआ पहलू है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से पहले यहां एक प्रमुख नीतिगत भाषण में आईएमएफ की प्रबंध निदेशक जॉर्जिवा ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगले सप्ताह जारी होने वाले विश्व आर्थिक परिदृश्य में वैश्विक वृद्धि अनुमानों को और घटाया जाएगा।
IMF वैश्विक आर्थिक वृद्धि के अनुमान को पहले ही तीन बार कम कर चुका है। अब इसके वर्ष 2022 में घटकर 3.2 प्रतिशत और वर्ष 2023 के लिए 2.9 प्रतिशत ही रहने की स्थिति बनती दिख रही है।
Recession: आईडीसी (IDC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर दो में से एक वरिष्ठ व्यावसायिक अधिकारियों (59 प्रतिशत) का मानना है कि आने वाले वर्ष में मंदी होगी।
Future Image: बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) और लगातार पिघल रहे ग्लेशियर मानव के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है। इसी बीच एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इमेज जेनरेटर ने मानव की आखिरी सेल्फी जारी की है। जो खुब तेजी से वायरल हो रहे हैं।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नास ने अंतरिक्ष यात्री के लिए इस प्रोडक्ट को सबसे पहले डेवलप किया था।
कृषि मंत्रालय से जारी एक बयान में यह कहा गया कि इस साल किसानों ने अधिक दर पर निजी व्यापारियों को गेंहू की बिक्री कर लगभग 5,994 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया है।
दुनिया भर में कारों की सुरक्षा को सुनिश्चित देने के लिए ग्लोबल क्रैश टेस्ट की स्वीकार्यता भी बढ़ रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने मध्य और दक्षिणी एशियाई क्षेत्र में सर्वोच्च रैंक बरकरार रखी है।
टाटा स्टील ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते 2020-21 के दौरान इस्पात की मांग में भारी कमी आने की आशंका है।
ग्लोबल इकोनॉमी के 2022 से पहले महामारी पूर्व स्तर पर लौटने के संकेत नहीं
साल के उत्तरार्ध में अगर कोई उचित तरीका नहीं उठाया गया, तो सोशल दूरी को बनाए रखने का समय और लंबा होगा। यह आर्थिक विकास के अनुमान को कम करने के पीछे का कारण है।
आईएमएफ द्वारा बुधवार को जारी अनुमानों के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस साल 4.9 प्रतिशत की कमी होगी, जबकि अप्रैल में अपनी पिछली रिपोर्ट में उसने तीन प्रतिशत कमी का अनुमान जताया था।
रिपोर्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति आय में 3.6 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। इससे करोड़ों लोग गरीबी की दलदल में फंसेंगे।
भारत और चीन की अर्थव्यवस्था में सुस्ती से गहरा हुआ मंदी का असर
अंतर्राष्ट्रीय बाजार से मिले कमजोर संकेतों से शुक्रवार को घरेलू वायदा बाजार में सोने और चांदी के दाम में भारी गिरावट दर्ज की गई।
क्रिस्टालिना जॉजीर्वा ने फंड के वार्षिक स्प्रिंग मीटिंग के एक वर्चुअल एडिशन के माध्यम से कहा, हम "हम असाधारण समय के दौरान मिलते हैं और असाधारण समय असाधारण कार्रवाई की मांग करता है।"
जी20 देशों के नेताओं ने कोरोना वायरस से फैली वैश्विक महामारी के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए इससे लड़ने के लिये विश्व की अर्थव्यवस्था में पांच हजार अरब डॉलर खर्च करने का बृहस्पतिवार को ऐलान किया।
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