395 रुपये प्रति इक्विटी शेयर के भाव पर 11.90 करोड़ शेयरों की बिक्री से सरकारी खजाने में लगभग 4,700 करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। बताते चलें कि ये भाव, मंगलवार को बंद हुए कंपनी के शेयरों के भाव से 6.23 प्रतिशत कम है।
वित्त वर्ष 2022-23 में तीन प्रमुख सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को भारी नुकसान हुआ था। हालांकि, सरकार की देखरेख में इन कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023-24 में अच्छा प्रदर्शन करते हुए अपने नुकसान को काफी कम किया है।
भारत में मौजूदा समय में 26 जेनरल इंश्योरेंस कंपनियां हैं, जिनमें से छह का स्वामित्व केंद्र सरकार के पास है।
बजट घोषणा के अनुरूप अगस्त में सरकार द्वारा संचालित साधारण बीमा कंपनियों के निजीकरण से जुड़े विधेयक को संसद की मंजूरी के बाद मंत्रालय की यह परामर्श जारी हुआ है।
सरकार ने 2020-21 के बजट में इन कंपनियों में 6,950 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रावधान किया था।
इरडा के निर्देश के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की चार सरकारी बीमा कंपनियों ने एक लाख लोगों को मानसिक रोग बीमा कवर दिया है।
सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों में आगामी बजट में 4,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की जा सकती है। इन कंपनियों की माली हालत बेहतर करने के लिए सरकार उनमें ये पूंजी डाल सकती है।
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने एक अधिसूचना में सभी साधारण बीमा कंपनियों को ऐसे वाहनों का तब तक बीमा करने से मना किया है जब तक उसके पास वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र नहीं हो। वाहनों के बीमा का हर साल नवीनीकरण होता है।
सार्वजनिक क्षेत्र की यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एम. एन. शर्मा ने कहा कि हम यूनाइटेड इंडिया में दो अन्य कंपनियों का विलय चाहते हैं। क्षेत्र की तीन कंपनियों में यूनाइटेड इंडिया सबसे बड़ी है। हम चाहते हैं कि उनका विलय हमारी कंपनी में हो।
ओएनजीसी द्वारा एचपीसीएल में सरकारी हिस्सेदारी के अधिग्रहण की तर्ज पर सरकार बीमा क्षेत्र में यह तरीका अपना सकती है। यह भारी मात्रा में नकदी जुटा कर बैठी सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों को इसी क्षेत्र की छोटी सरकारी कंपनियों को खरीदने के लिए
देश की 10 सबसे बड़ी सरकारी कंपनियों के CPSE ETF में निवेश का आज आखिरी मौका है। पहले दो दिन में इस इश्यू को शानदार रिस्पॉन्स मिला है।
बुधवार को सरकार ने पांच सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
भारत के उद्योग जगत की विलय एवं अधिग्रहण के सौदों में 2015 के दौरान उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।
एक्सीडेंट इंश्योरेंस अनिश्चितताओं से मुकाबला करने का आसान तरीका है, इसे आप स्टैंड अलोन पॉलिसी की तरह ले सकते हैं या फिर राइडर के रूप में अपना सकते हैं।
इंश्योरेंस एजेंट या एडवाइजर अधिक कमीशन के चलते कई बार आपको ऐसी पॉलिसी थमा देते हैं, जिसकी वास्तव में आपको जरूरत ही नहीं होती।
बाजार आपके लिए जल्द सरल बीमा प्रोडक्ट उपलब्ध होंगे। इरडा के चेयरमैन टी एस विजयन ने कहा कि नियामक सरल बीमा उत्पाद पेश करने की दिशा में काम कर रहा है।
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