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1991 में, भारत एक गंभीर आर्थिक संकट के कारण लोन डिफॉल्ट के कगार पर खड़ा था। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6 बिलियन डॉलर से भी कम हो गया, जो देश के आयात के दो सप्ताह को कवर करने के लिए काफी नहीं था।
साल 1991 में भारत को एक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। यह बाहरी ऋण से संबंधित था। सरकार विदेशों से लिए गए अपने ऋणों का भुगतान करने में सक्षम नहीं थी। विदेशी मुद्रा भंडार, जिसे हम पेट्रोलियम और दूसरी महत्वपूर्ण वस्तुओं के आयात के लिए बनाए रखते हैं, गिरकर ऐसे स्तर पर आ गया जो एक पखवाड़े तक भी नहीं चल सकता था।
जब पी वी नरसिंहराव प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने मनमोहन सिंह को 1991 में अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया। इस समय डॉ. मनमोहन सिंह न तो लोकसभा और न ही राज्यसभा के सदस्य थे
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के तहत 2006-2007 में भारत ने 10.08% की वृद्धि दर दर्ज की थी। यह 1991 में अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद से भारत में दर्ज की गई सबसे अधिक जीडीपी थी। उच्चतम जीडीपी वृद्धि दर 2006-2007 में 10.08% थी।
खुदरा व्यक्तिगत निवेशकों (आरआईआई) की कैटेगरी को 56.16 गुना सब्सक्रिप्शन हासिल हुआ। आईपीओ में 250 करोड़ रुपये तक का नया निर्गम और 250 करोड़ रुपये तक का बिक्री-प्रस्ताव (ओएफएस) है। प्रस्ताव के लिए मूल्य सीमा 745-785 रुपये प्रति शेयर तय की गई है।
भारत का तेल आयात, जिसकी कीमत ज्यादातर डॉलर में होती है, रुपये के मूल्यह्रास के चलते काफी महंगा हो सकता था, हालांकि, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 5 प्रतिशत की गिरावट से इसका असर कम हो गया है, जो दिसंबर 2023 में 77 डॉलर प्रति बैरल से 73 डॉलर प्रति बैरल हो गया है।
ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है। अक्टूबर-नवंबर, 2024 के दौरान दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री और घरेलू ट्रैक्टर की बिक्री में क्रमशः 23.2 प्रतिशत और 9.8 प्रतिशत की वृद्धि से इसका अनुमान लगाया जा सकता है। शहरी मांग बढ़ रही है।
कारोबारियों ने सोने की कीमतों में तेजी का श्रेय विदेशी बाजारों में मजबूती के रुख को दिया, जिससे सर्राफा कीमतों को मदद मिली।
इस साल 23 दिसंबर तक बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स में 12,144.15 अंकों (28.45 प्रतिशत) की बढ़ोतरी दर्ज की जा चुकी है। जबकि मिडकैप इंडेक्स में भी 9,435.09 अंकों (25.61 प्रतिशत) का उछाल दर्ज किया गया है।
वित्त वर्ष 2023-24 में, निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए धोखाधड़ी के मामलों की संख्या कुल का 67. 1 प्रतिशत थी। हालांकि, शामिल राशि के मामले में, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) में 2023-24 में सभी बैंक समूहों के लिए कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी का हिस्सा सबसे अधिक था।
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