रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि विश्व स्तर पर यह देखा गया है कि कम गतिशीलता से जीडीपी कम होती है और उच्च गतिशीलता उच्च जीडीपी की ओर ले जाती है, लेकिन यहां प्रतिक्रिया विषम है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि के अपने अनुमान को बनाए रखा है जबकि अन्य विश्लेषकों का अनुमान 7.9 प्रतिशत या उससे ज्यादा का है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 21.4 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत ग्रोथ का अनुमान दिया है।
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता एरिक मास्किन ने शनिवार को कहा कि वैश्वीकरण ने एक पीढ़ी में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को तीन गुना कर दिया है, लेकिन देश में श्रमिकों को इसका लाभ नहीं मिला है।
आईएमएफ ने अपने ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य में कहा है कि मार्च-मई के दौरान घातक दूसरी कोविड लहर के कारण भारत के लिए वृद्धि अनुमान में कटौती की गई है क्योंकि इस वजह से भरोसे में रिकवरी धीमी पड़ने की संभावना है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने शुक्रवार को कहा कि सरकार द्वारा लिए जा रहे आर्थिक सुधारों और कोविड टीकाकरण में तेजी को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत की वृद्धि दर 6.5 से 7 प्रतिशत के बीच रह सकती है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बाद राज्यों द्वारा स्थानीय प्रतिबंधों को हटाने के चलते आर्थिक सुधार ने गति पकड़ी है, लेकिन यह अभी भी 2019 के स्तर से पीछे है
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने शुक्रवार को कहा कि वित्त वर्ष 2022 में भारत की जीडीपी 9.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो पहले के 10.1 प्रतिशत के अनुमान से कम है।
देश में बैंक ऋण वृद्धि दर बेशक 2020- 21 में 5.56 प्रतिशत पर 59 साल के सबसे निचले स्तर तक गिर गई है लेकिन 2020 में बैंक ऋण का स्तर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 56 प्रतिशत पर पहुंच गया।
एसएंडपी ने कहा कि हमने मार्च में घोषित चालू वित्त वर्ष में वृद्धि के लिए 11 फीसदी के पूर्वानुमान को घटाकर 9.5 फीसदी कर दिया है।
वायरस की वापसी से 2021 में भारत के वृद्धि पूर्वानुमानों को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है, हालांकि यह संभावना है कि आर्थिक नुकसान अप्रैल-जून तिमाही तक ही सीमित रहेगा।
CEA ने कहा कि कई राहत ऐलान किये जा चुके हैं। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के विस्तार की लागत 70,000 करोड़ रुपये बैठेगी। वहीं मुफ्त टीका एक और महत्वपूर्ण आर्थिक उपाय है।
वित्त वर्ष 2022 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 8.7 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (एमओएफएसएल) ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने कहा है कि कोविड-19 संक्रमण के घटते मामले तथा पाबंदियों में ढील से वित्त वर्ष 2021-22 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रह सकती है।
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते घरेलू खपत और निवेश प्रभावित होने के कारण क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को 11 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया।
रिजर्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को एक प्रतिशत अंक कम करके 9.5 प्रतिशत कर दिया है।
राज्यों को वित्तीय संकट से बचाने के लिये उनकी उधार लेने की सीमा को बिना किसी शर्त के पांच प्रतिशत तक बढ़ा दिया जाना चाहिये।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सरकार द्वारा हाल ही में जारी किए GDP के आंकड़ों पर सवाल उठाएं थे इसे लेकर वित्त राज्य मंत्री ठाकुर ने पूर्व वित्त मंत्री से सवाल करते हुए पूछा, 'क्या भारतीय अर्थव्यवस्था अलग-थलग द्वीप है?
मूडीज ने आगे कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट का अनुमान है, जबकि इसके बाद सुधार होगा
वृद्धि दर में आया बड़ा उछाल तुलनात्मक वार्षिक आधार निम्न होने तथा प्राकृतिक गैस उत्पादन बढ़ने, रिफाइनरी उत्पाद, इस्पात और बिजली क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन का नतीजा है।
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