आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था नई ऊंचाइयां छूने के लिए तैयार है। साथ ही 2030 तक 10,000 अरब डॉलर की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ इसके दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।
कई तिमाहियों की सुस्ती के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने जुलाई 2017 से ऐसी उड़ान भरी कि अब फ्रांस को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। वर्ल्ड बैंक के 2017 के अपडेडेट आंकड़ों में इस बात का खुलासा किया गया है।
सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रिटेल मुद्रास्फीति की गणना के लिए आधार वर्ष को बदलकर क्रमश: 2017-18 और 2018 करेगी। यह व्यवस्था 2019-20 से प्रभाव में आएगी।
भारत उन पांच देशों में शुमार है जो डॉलर के मजबूत होने से सबसे कम जोखिम की स्थिति में हैं। मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने गुरुवार एक रिपोर्ट में कहा कि डॉलर के मजबूत होने से अन्य मुद्राओं पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन भारत सबसे कम जोखिम वाले देशों में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न सरकारी विभागों और उद्योग के समक्ष एक नई चुनौती पेश की है। उन्होंने देश में अधिक रोजगार पैदा करने और प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने के लिए आयात में 10 प्रतिशत कमी लाने और वैश्विक व्यापर में भारत की हिस्सेदारी मौजूदा 1.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.4 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.5 प्रतिशत का चालू खाते का घाटा (CAD) चिंता की बात नहीं है और सरकार के पास विदेशी कोष की निकासी की वजह से पैदा हुए असंतुलन से निपटने को जरूरी ‘उपकरण’ हैं। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने मंगलवार को यह बात कही।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में हासिल हुई 7.7 प्रतिशत की वृद्धि दर से एक बार फिर से यह स्थापित हो गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि अभी यह रुख कई और साल तक बना रहेगा।
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि उसने कर्ज की लगत बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल को आर्थिक वृद्धि के लिए जोखिम बताया है।
उद्योग जगत को अगले दो वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर बढ़कर 8 प्रतिशत के करीब रहने की उम्मीद है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि मजबूत सुधार प्रक्रिया और राजकोषीय सूझबूझ ने तेजी की नीव रखी है।
भारतीय अर्थव्यवस्था को क्रय शक्ति क्षमता (PPP) के संदर्भ में हिंसा के कारण पिछले साल 1,190 अरब डॉलर यानी 80 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। यह नुकसान प्रति व्यक्ति के हिसाब से करीब 595.40 डॉलर यानी 40 हजार रुपए से अधिक है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने आज कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले दो साल में 8 प्रतिशत को पार कर सकती है। सरकार अगले सात-आठ साल में अर्थव्यवस्था के आकार को दोगुना कर 5,000 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए नई औद्योगिक नीति बनाने समेत कई कदम उठा रही है।
वर्ल्ड बैंक ने अनुमान जताया है कि भारत विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति को कायम रख सकता है। विश्व बैंक का कहना है कि वित्त वर्ष 2018-19 में भारत की विकास दर 7.3 प्रतिशत, जबकि अगले दो वर्षों में 7.5 प्रतिशत रह सकती है।
वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी HSBC का कहना है कि जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 7.7% रहने में मुख्य रूप से ‘ सरकार का हाथ ’ है। इसके अनुसार आलोच्य तिमाही में निर्यात व निजी खपत के मोर्चों पर प्रदर्शन निराशाजनक रहा। उल्लेखनीय है कि बीते वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रही है। यह सात तिमाहियों का उच्चस्तर है।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर जनवरी-मार्च की तिमाही में 7.7 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 6.1 प्रतिशत थी। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों से साबित होता है कि भारत विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। आपको बता दें कि मार्च में समाप्त हुई तिमाही में चीन की ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी थी। वर्ष 2017-18 में आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़कर 6.7 प्रतिशत रही।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी बढ़त के साथ कारोबार कर रहे हैं, शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स ने 35152.17 का ऊपरी स्तर छुआ है और फिलहाल 121.36 प्वाइंट की बढ़त के साथ 35027.47 पर कारोबार कर रहा है, निफ्टी की बात करें तो वह भी 38.70 प्वाइंट की बढ़त के साथ 10653.05 पर ट्रेड हो रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मलेशिया की यात्रा पर हैं और बुधवार को रेटिंग एजेंसी मूडीज ने बुरी खबर सुना दी है। मूडीज ने कहा है कि उसने चालू वर्ष 2018 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर के अपने अनुमान को घटा दिया है।
उद्योग एवं कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 7.5 प्रतिशत रह सकती है। जीडीपी वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष में 6.6 प्रतिशत थी।
कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतों में हाल में हुई बढ़ोतरी से देश के निर्यात पर असर पड़ेगा और चालू खाता घाटा (CAD) बढ़कर GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का 2.5 फीसदी तक पहुंच सकता है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सोमवार को यह बात कही है।
वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में मार्च महीने में सुस्ती रहने के बावजूद जनवरी-मार्च तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि बढ़कर 7.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
भारत की अर्थव्यवस्था नोटबंदी तथा जीएसटी के क्रियान्वयन से उबर गयी है और इसकी वृद्धि चालू वित्त वर्ष 2018-19 में 7.4 प्रतिशत तथा आगे और बढ़ कर 7.8 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की रपट के अनुसार एशिया इस समय दुनिया की अर्थव्यवस्था का मुख्य इंजन बना हुआ है और वैश्विक आर्थिक वृद्धि में इस क्षेत्र का योगदान 60 प्रतिशत से अधिक है।
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