मजबूत घरेलू खपत और निवेश वृद्धि को समर्थन देते रहेंगे, जिसके 2019 में 7.0 प्रतिशत तथा 2020 में 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री इमरान खान सरकार के कार्यकाल के पहले साल में सभी प्रमुख क्षेत्रों का प्रदर्शन कमजोर रहा है।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने फरवरी महीने में वित्त वर्ष 2018-19 की आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान 7.20 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया था
एनबीएस ने कहा कि पहली तिमाही की वृद्धि दर बीते साल की चौथी तिमाही के समान ही रही है। 2018 की चौथी तिमाही में भी चीन की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रही थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज की लागत में कमी के साथ बैंकों का लाभ बढ़ने के कारण यह संभव होगा।
आईएमएफ ने जनवरी में जारी अपने पहले के अनुमान के मुकाबले इस ताजा अनुमान में भारत की वृद्धि अनुमान में 2019-20 और 2020-21 के लिए 20 आधार अंकों की कटौती की है।
रिपोर्ट के अनुसार पहली तीन तिमाही के आंकड़ों से पता चलता है कि वृद्धि व्यापक रही है। औद्योगिक वृद्धि बढ़कर 7.9 प्रतिशत पर आ गई।
रिपोर्ट में कहा गया कि नीतिगत दर में कटौती तथा किसानों को सरकार से आय समर्थन मिलने के कारण घरेलू मांग में तेजी आएगी, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 2019 में 7.20 प्रतिशत और 2020 में 7.30 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।
बजट में 2019-20 के लिए 7.10 लाख करोड़ रुपए के सकल कर्ज का लक्ष्य तय किया गया था। चालू वित्त वर्ष के लिए सकल कर्ज का अनुमान 5.71 लाख करोड़ रुपए है।
नोटबंदी के बाद निर्धारित समय में बैंकों में 15.31 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोट जमा किए गए। यह आठ नवंबर 2016 को चलन में 500 और 1000 रुपए के 15.41 लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोट का 99.3 प्रतिशत है।
अपनी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए चीन आनन-फानन में एक नया निवेश कानून पारित करने वाला है।
मूडीज आर्थिक वृद्धि के पूर्वानुमान का आकलन कैलेंडर वर्ष के आधार पर करता है। हालांकि भारत आर्थिक वृद्धि की गणना वित्त वर्ष के आधार पर करता है।
इसके अलावा चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर भी 7 प्रतिशत कर दिया गया है, जिसके इससे पहले 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
नोटबंदी वाले वित्त वर्ष 2016-17 में आर्थिक वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही थी।
सीएसओ ने कहा कि 2017-18 के लिए पहला संशोधित अनुमान अब उद्योगवार और संस्थानों के आधार पर विस्तृत सूचना को शामिल करते हुए जारी किया गया है।
भारत 2019 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में ब्रिटेन को पीछे छोड़ सकता है। वैश्विक सलाहकार कंपनी PwC की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
अधिकांश अर्थशास्त्री पहले ही भारत की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 7 प्रतिशत के आसपास कर चुके हैं।
कच्चे तेल की कीमतों में अचानक तेजी आने से देश की वृहद आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
भारत बीते वर्ष यानी 2018 में उतार-चढ़ाव के बावजूद दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहा।
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि घटा दी।
लेटेस्ट न्यूज़