जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में 15.2 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान
कुछ राज्यों और शहरों में एक बार फिर प्रतिबंध लगने से रिकवरी पर असर पड़ा
पहली तिमाही में वृद्धि दर औसतन शून्य से 14.2 प्रतिशत नीचे संभव
होटल, पर्यटन, मनोरंजन, यात्रा जैसे क्षेत्रों की रिकवरी में लग सकता है वक्त
सप्लाई में बाधा पड़ने से महंगाई दर पर असर संभव
2008 की चौथी तिमाही के बाद किसी भी तिमाही में दर्ज हुई सबसे ज्यादा गिरावट
पूरे वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी ही, प्रत्येक तिमाही के दौरान भी अर्थव्यवस्था नीचे आएगी।
2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 5 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान
अन्य रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को स्थिर परिदृश्य के साथ घटाकर बीबीबी नकारात्मक कर दिया है।
अगले वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर 8.5 प्रतिशत संभव
ब्रिटेन में 23 मार्च से लॉकडाउन लागू है। अब अंकुशों में कुछ ढील दी जा रही है। सोमवार से गैर-आवश्यक वस्तुओं की दुकानें खुलने जा रही हैं।
मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर के 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2018-19 में 6.1 प्रतिशत थी।
एजेंसी ने कहा कि अप्रैल मध्य से कोरोना वायरस संक्रमण में तेजी आने और इसे रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर विपरीत असर पड़ा है।
व्यापार और उद्योग मंत्रालय ने कहा कि संगापुर के लिए बाह्य मांग परिदृश्य में गिरावट को देखते हुए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को और घटा दिया गया है।
रिजर्व बैंक ने माना है कि अर्थव्यवस्था के हालात ठीक नहीं है और चालू वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश की GDP ग्रोथ शून्य के भी नीचे गिर सकती है
एजेंसी के मुताबिक पहले से जारी नरमी के बीच कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा
एजेंसी के मुताबिक मजदूरों की कमी की वजह से कई सेक्टर पर दिखेगा दबाव
एजेंसी ने सरकारी समर्थन में जबर्दस्त वृद्धि करने की सलाह दी है।
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में लगातार दो तिमाहियों के दौरान नकारात्मक वृद्धि रहेगी।
फिच सॉल्युशन ने सोमवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के पूर्वानुमानों में कटौती करते हुए इसे 1.8 प्रतिशत कर दिया।
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