चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में उद्योग में 9.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है जो पहली तिमाही मे 38.1 प्रतिशत थी। सेवा क्षेत्रों में 10.2 प्रतिशत गिरावट अनुमानित है जबकि पहली तिमाही में इसमें 20.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
उद्योग मंडल के मुताबिक 25 प्रमुख आर्थिक संकेतकों से संकेत मिलता है कि कारोबारी गतिविधियों अब सामान्य हो रही हैं। उद्योग मंडल ने हालांकि कहा कि सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरोजगारी की दर अब भी चिंता का विषय है। अगस्त में यह बढ़कर 8.3 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 7.4 प्रतिशत थी।
सरकार ने इससे पहले मई में 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी।
दास ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में आई गिरावट अब पीछे रह गई है और अर्थव्यवस्था में उम्मीद की किरण दिखने लगी है।
रेटिंग एजेंसी ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को बीबीबी (-) पर बरकरार रखा है। एजेंसी ने कहा कि भारत की लंबी अवधि की रेटिंग के लिए उसका आउटलुक स्थिर है।
देश का कुल बाहरी कर्ज मार्च के अंत तक 2.8 प्रतिशत बढ़कर 558.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
रघुराम राजन ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को अमेरिका और इटली से कही ज्यादा नुकसान हुआ है, जो इस बिमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं
देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पहली तिमाही में करीब एक-चौथाई की भारी गिरावट आने के सवाल पर पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि यह नुकसान देशव्यापी लॉकडाउन लगाने की रणनीति सही नहीं होने के कारण हुआ है।
यह रिकॉर्ड गिरावट निजी क्षेत्र के कारण आई थी, जो कि कोविड-19 महामारी को रोकने के प्रयासों के तहत या तो बंद थे या प्रतिबंधित थे।
जुलाई में रेलवे के जरिए मालढुलाई पिछले साल के 95 फीसदी स्तर तक पहुंच गई है। वहीं अगस्त के 26 दिनों में इसमें पिछले साल के मुकाबले बढ़त दर्ज हुई है। वहीं बिजली की खपत पिछले स्तरों के करीब पहुंच गई है।
कोरोना संकट की वजह से आय घटने और खर्च बढ़ने से राजकोषीय घाटे में उछाल देखने को मिला है। 2020- 21 के बजट में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
मार्च से जून के दौरान एग्री कमोडिटी का एक्सपोर्ट 23 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुका है। जिसकी कीमत 25,500 करोड़ रुपये से ज्यादा है। वहीं खरीफ फसल की बुवाई का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले बढ़ने से इस साल बंपर उत्पादन होने की उम्मीद
भारतीय अर्थव्यवस्था में कोरोना की वजह अब तक की सबसे तेज तिमाही गिरावट देखने को मिली है। आज जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक जून में खत्म हुई तिमाही के दौरान जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इसी तिमाही के दौरान कारोबारी गतिविधियों पर कोरोना संकट का सबसे गहरा असर देखने को मिला था, जिसका असर आंकड़ों के रूप में अब सबके सामने है।
कोरोना वायरस की वजह से अप्रैल से जून के दौरान देश में लॉकडाउन लगा हुआ था और लॉकडाउन के दौरान देश में अधिकतर व्यावसायिक गतिविधियां बंद थी ऐसे में इस तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है जून में खत्म हुई तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की तेज गिरावट दर्ज हुई है।
GDP में भारी गिरावट की आशंका जताई जा रही है और इसी को भांपते हुए शेयर बाजार में बिकवाली है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को ही कोवडि-19 को एक दैवीय घटना बताते हुए कहा था कि इसका असर अर्थव्यवस्था पर साफ दिखाई देगा और चालू वित्त वर्ष में इसमें बड़ा संकुचन आएगा।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2010-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 25 प्रतिशत तक गिरावट का अनुमान व्यक्त किया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था 2.2 प्रतिशत घटी थी।
कोरोना संकट की वजह से जारी प्रतिबंधों का असर तिमाही के प्रदर्शन पर पड़ा
नीतियां सहीं हों तो अगले साल अर्थव्यवस्था में तेज बढ़त संभव
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