बोफा की रिपोर्ट में कहा गया है कि वृद्धि अभी सुस्त है और महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतकों में गिरावट आई है। ऋण की वृद्धि काफी कमजोर है।
महामारी के मामले रिकॉर्ड पर पहुंचने तथा कई प्रमुख राज्यों द्वारा सख्त लॉकडाउन लगाए जाने से वृद्धि को लेकर चिंता पैदा हुई है।
मूडीज ने उम्मीद जताई कि संक्रमण की मौजूदा लहर से निपटने के लिए एक देशव्यापी लॉकडाउन के विपरीत छोटे-छोटे कटेंटमेंट जोन पर जोर दिया जाएगा
आईएमएफ की हालिया रिपोर्ट मे भारत के लिए 12.5 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। अनुमान के मुताबिक साल 2021 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि 2020 की दूसरी छमाही में पुनरुद्धार से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अपने महामारी पूर्व के स्तर पर पहुंच गया है।
इस संकट के चलते देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पिछले साल के मुकाबले 15.7 प्रतिशत पहले ही घट चुका है। भारत इस समय दुनिया में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
खनन क्षेत्र के सुधार रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका अदा कर सकते हैं। उद्योग मंडल फिक्की ने यह राय जतायी है।
मूडीज ने कहा है कि यदि कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर तेज होती है, तो इससे 2021 में सुधार के लिए जोखिम पैदा हो सकता है।
चीनी राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा 28 फरवरी को जारी 2020 राष्ट्रीय आर्थिक और सामाजिक विकास सांख्यिकी विज्ञप्ति के अनुसार, पूरे साल में औसत प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के 72,447 युआन तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2 प्रतिशत बढ़ा।
चालू वित्त वर्ष की दिसंबर में समाप्त तिमाही के दौरान भारत की जीडीपी सकारात्मक होकर 0.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
भारत की जीडीपी में पहली तिमाही के दौरान 24 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
उद्योग संगठन पीएचडीसीसीआई ने शनिवार को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी और चौथी तिमाही में देश की जीडीपी में रिकार्ड वृद्धि होने की उम्मीद है और पिछले 10 महीनों के दौरान सरकार द्वारा किए गए विभिन्न सुधारों के चलते अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मुख्य पॉलिसी दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है, रेपो रेट की दर को 4 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है, जिस वजह से आने वाले दिनों में होम और कार लोन की दरों में कमी आने की उम्मीद कम है।
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा दिसंबर 2020 के अंत में 11.58 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। यह बजट अनुमान का 145.5 प्रतिशत है।
अनुमान के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र में 3.4 फीसदी की बढ़त देखने को मिल सकती है। वहीं खनन क्षेत्र में वित्त वर्ष के दौरान 12.4 फीसदी की गिरावट संभव है। पिछले वित्त वर्ष में खनन क्षेत्र में 3.1 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई थी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में इस दौरान 9.4 फीसदी की गिरावट संभव है।
रिपोर्ट के मुताबिक रबी सत्र के लिए बेहतर खरीद तथा अनुकूल परिदृश्य के साथ कोविड-19 टीके को लेकर अच्छी खबरों से चौथी यानि जनवरी-मार्च की तिमाही में मांग में मजबूती दर्ज होगी और आर्थिक गतिविधियों में सुधार देखने को मिलेगा।
क्रेडिट सुइस ने कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं वित्त वर्ष 2026-27 तक जीडीपी में 1.7 प्रतिशत का इजाफा कर सकती हैं। सालाना यह औसतन 0.3 से 0.5 प्रतिशत हो सकती है। पिछले साल सितंबर में कंपनी कर की दरों में कटौती और श्रम कानून में सुधारों से भी वृद्धि को गति मिलने की उम्मीद है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सितंबर तिमाही में उम्मीद से अधिक तेजी से सुधार होने के कारण पूर्वानुमान में बदलाव किया गया है। रेटिंग एजेंसी ने अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर के 10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
रिजर्व बैंक ने 2020-21 के लिये आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट के अनुमान को संशोधित कर 7.5 प्रतिशत कर दिया है जबकि पहले रिजर्व बैंक ने 9.5 प्रतिशत गिरावट की आशंका जतायी थी।
एमएसएमई का देश की जीडीपी में 30 प्रतिशत का योगदान है। कुल निर्यात में से 48 प्रतिशत योगदान एमएसएमई करता है। साथ ही 11 करोड़ रोजगार भी सृजित करता है। सरकार निर्यात में एमएसएमई की हिस्सेदारी बढ़ाकर 60 फीसदी करना चाहती है।
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