पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी 8.1 प्रतिशत रही थी। इतना ही नहीं, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश का जीडीपी 6.7 प्रतिशत रहा था।
RBI ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो 2023-24 के 8.2 प्रतिशत से कम है। दूसरी तिमाही की आर्थिक गतिविधि के आधिकारिक आंकड़े 30 नवंबर को जारी होने की उम्मीद है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। गवर्नर ने महंगाई पर कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून में तेजी से खाद्य महंगाई में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
गले सात वित्तीय वर्षों (2025-2031) में भारतीय अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार करते हुए 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब पहुंच जाएगी।
गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) की कार्यकारी समिति के सदस्य सचिन के पटेल ने कहा कि राज्य सरकार की व्यापार-अनुकूल नीतियों ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को बढ़ावा देने का काम किया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। वहीं दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी चीन की इकोनॉमी मंदी की चपेट में आ गई है। पश्चिमी देशों से संबंध खराब होने का असर भी चीन की इकोनॉमी पर पड़ा है।
India's GDP: भारत की अर्थव्यवस्था इस समय काफी अच्छी स्थिति में है, महंगाई कंट्रोल में है लेकिन विकसित राष्ट्र बनने का सफर अभी भी काफी लंबा है।
India's GDP: भारत हर मोर्चे पर विकास कर रहा है। देश में कम हो रही महंगाई के चलते फिच रेटिंग्स ने भी इंडिया की जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ा दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य मानसून के साथ, अगर अल नीनो घटना नहीं होती है, तो मुद्रास्फीति के 2023-24 में नीचे जाने की उम्मीद है। थोक मुद्रास्फीति के घटकर 5.2% से कम रहने का अनुमान है, जो बीते वित्त वर्ष में 6.7% थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि चालू खाता घाटा 2023-24 में कम होकर 2.1 प्रतिशत पर आ सकता है, जो तीन प्रतिशत था।
2022-23 की तीसरी तिमाही के लिए कल शाम जारी किए गए आंकड़ों को लेकर बहुत गलतफहमी है क्योंकि इसके साथ पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों में संशोधन भी किया गया।
देश में सरकार के द्वारा टीकाकरण को लेकर चलाए जा रहे अभियान का असर देखा जा रहा है। आईसीआरए की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दोहरे अंकों में 13 प्रतिशत पर बढ़ने की उम्मीद है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि भारत की दूसरी लहर ने हमें इस वित्त वर्ष के लिए अपने जीडीपी वृद्धि के पूर्वानुमान को संशोधित करने के लिए मजबूर किया है।
गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि लॉकडाउन की तीव्रता पिछले साल के मुकाबले कम है। फिर भी, भारत के प्रमुख शहरों में सख्त प्रतिबंधों का असर साफ दिखाई दे रहा है।
रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मुख्य पॉलिसी दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है, रेपो रेट की दर को 4 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है, जिस वजह से आने वाले दिनों में होम और कार लोन की दरों में कमी आने की उम्मीद कम है।
Fitch ने अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक 2020 रिपोर्ट में कहा है कि आगे आने वाले हफ्तों में कोरोना वायरस से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी।
जनवरी 2019 में जारी पहले संशोधित अनुमान में 2017-18 के लिए वास्तविक जीडीपी या स्थिर (2011-12) कीमत पर जीडीपी 131.80 लाख करोड़ रुपए बताई गई थी, जो 7.2 प्रतिशत वृद्धि को दिखाती है।
सिंगापुर की वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी डीबीएस बैंकिंग समूह ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5.5 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है।
रोजगार वृद्धि में मंदी और कमजोर फसल उत्पादन की वजह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में धीमेपन की वजह से उपभोग प्रभावित हुआ है।
मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने गुरुवार को कहा कि कमजोर आर्थिक वृद्धि, सुस्त पड़ती कमाई से वर्ष 2020 में वित्तीय क्षेत्र को छोड़ दूसरे क्षेत्रों की ज्यादातर भारतीय कंपनियों की साख परिस्थितियां कमजोरी बनी रहेगी।
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