विमान ईंधन की मांग भी एक साल पहले की तुलना में एक से 15 अक्टूबर के बीच 22.1 प्रतिशत उछलकर 264,00 टन हो गई।
लोग आज सार्वजनिक परिवहन की तुलना में अपने निजी वाहनों का इस्तेमाल करने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
लॉकडाउन के लागू रहने की वजह से अप्रैल 2020 में ईंधन की बिक्री बेहद कम रही थी इसलिए इस वर्ष अप्रैल माह में ईंधन बिक्री की तुलना वर्ष 2019 से की गई है।
पेट्रोलियम उत्पादों की कुल मांग अक्टूबर महीने में 2.5 प्रतिशत बढ़कर 1.777 करोड़ टन रही जो एक साल पहले 1.734 करोड़ टन थी। डीजल की मांग 7.4 प्रतिशत बढ़कर 65 लाख टन रही जबकि पेट्रोल की बिक्री 4.5 प्रतिशत बढ़कर 25.4 करोड़ टन थी। डीजल खपत में वृद्धि एक साल में सर्वाधिक रही।
जुलाई के महीने में सिर्फ एलपीजी की मांग में बढ़त का रुख
कोरोना पर नए प्रतिबंध और बाढ़ से ईंधन की बिक्री पर असर
20 अप्रैल के बाद आंशिक राहत से पेट्रोल और डीजल की मांग में सुधार के संकेत
लॉकडाउन की वजह से पेट्रोल डीजल की मांग में 66% और ATF की मांग में 90% की गिरावट दर्ज
रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन हटने के बाद सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से निजी वाहनों का इस्तेमाल बढ़ने से मांग सुधरेगी
पेट्रोलियम मंत्रालय का अनुमान है कि अप्रैल से शुरू होने जा रहे अगले वित्त वर्ष में भारत में पेट्रोलियम ईंधन की मांग 3.8 प्रतिशत बढ़ेगी।
कीमतों में नरमी से बढ़े उपभोग के चलते जून माह के दौरान देश में पेट्रोल व डीजल सहित ईंधन की मांग 8.6 प्रतिशत बढ़ गई।
पेट्रोल-डीजल की खपत बढ़ने के साथ ही ईंधन की मांग में सितंबर महीने के दौरान 9.9 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। किसी एक महीने में यह सर्वाधिक वृद्धि है।
भारत की फ्यूल डिमांड ग्रोथ 2017 में पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी घटने का अनुमान है। नोट को बंद करने से पैदा हुए नकदी संकट की वजह से ऐसा होगा।
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