कार खरीदने के बाद फ्यूल का खर्च ज्यादातर कार ओनर के लिए एक चुनौती होती है। ईंधन पर खर्च को यहां कैलकुलेशन से समझा जा सकता है।
डीजल की बिक्री मई से 12 प्रतिशत बढ़कर 62 लाख टन हो गयी लेकिन यह जून, 2020 से 1.5 प्रतिशत और जून 2019 से 18.8 प्रतिशत कम है।
डीजल की मांग फरवरी में 8.5 प्रतिशत घटकर 65.5 लाख टन रह गई। वहीं पेट्रोल की खपत 6.5 प्रतिशत घटकर 24 लाख टन पर आ गई। रसोई गैस एलपीजी की बिक्री में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
सरकार ने फिर पांच मई को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 10 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिए। इस दो बार की वृद्धि से सरकार को 2 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त कर राजस्व प्राप्त हुआ।
आम चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दलों के अगले दो महीनों में बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार को देखते हुए परिवहन ईंधन की मांग बढ़ने की संभावना है।
2008-09 के दौरान भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की सालाना खपत 12.41 करोड़ टन थी जो वित्त वर्ष 2016-17 में बढ़कर 17.12 करोड़ टन हो गई है
केंद्र सरकार वर्ष 2030 से देश में सिर्फ इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री के लक्ष्य पर काम कर रही है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने यह जानकारी दी।
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