राजनयिक माध्यमों से जल्द ही तारीखों पर आखिरी फैसला किया जाएगा। एफटीए वार्ता में अभी तक हासिल प्रगति पर चर्चा फिर से शुरू की जाएगी और व्यापार समझौते को शीघ्रता से पूरा करने के लिए इस अंतराल को पाटने का प्रयास किया जाएगा।
भारत और ब्रिटेन जनवरी 2022 से एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत कर रहे हैं, इस साल की शुरुआत में दोनों देशों में आम चुनावों के दौरान बातचीत रुकी हुई थी। ब्रिटेन ने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और ब्रिटेन के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है।
यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के सदस्य आइसलैंड, लिसटेंस्टिन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड हैं। यह 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए है न कि पोर्टफोलियो निवेश के लिए।
Free Trade Agreements : भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 के 17.5 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 20.36 अरब डॉलर हो गया है। भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 12.39 अरब डॉलर रहा है।
India UK free trade deal : अभी भारत और यूके के बीच व्यापार एक साल में 38.1 अरब पाउंड के करीब है। हाल ही में भारत ने यूरोपीय राष्ट्रों के एक समूह - स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
India-EFTA Free Trade Agreement : भारत और यूरोप के 4 देशों के बीच 16 साल के लंबे इंतजार और 21 दौर की वार्ता के बाद फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर साइन हुए हैं। इसके तहत ये 4 देश भारत में 100 अरब डॉलर का निवेश करेंगे और भारत यूरोपीय प्रोडक्ट्स के लिए सीमा शुल्क कम करेगा।
ईएफटीए देशों ने अपने दायित्वों को पूरा नहीं किया है तो भारत तीन साल की अतिरिक्त छूट अवधि के बाद रियायतें निलंबित कर सकता है।
ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में यह पहली बार है कि उसने किसी देश के लिए 100 प्रतिशत टैरिफ लाइन खोलने का फैसला लिया है। ऐसे में इस फैसले से भारत को बड़ा लाभ मिलने वाला है।
बादेनोच ने ट्वीट किया, मैं ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापार वार्ता के छठे दौर की शुरुआत करने के लिए यहां नयी दिल्ली पहुंच गई हूं।
स्वीडन ने शुक्रवार को कहा कि भारत-ईयू मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को जल्द अंतिम रूप देना उसकी प्राथमिकता होगी। यदि ऐसा हुआ तो भारतीय निर्यातकों को यूरोप में चीन की बादशाहत को खत्म करने में मदद मिलेगी।
एफटीए लागू होने के बाद कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, आभूषण और मशीनरी सहित भारत के 6,000 से अधिक उत्पादों को ऑस्ट्रेलियाई बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच मिलेगी।
भारत और ब्रिटेन ने इस साल जनवरी में औपचारिक रूप से द्विपक्षीय व्यापार और 2030 तक 100 अरब डॉलर के निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू की।
इस समझौते में भारत के लिये 310 निर्यात वस्तुओं को शामिल किया गया है। इनमें खाद्य एवं पेय पदार्थ, कृषि उत्पाद, कपड़ा और कपड़ा सामान, मूल धातु, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रनिक सामान, प्लास्टिक और रसायन तथा लकड़ी शामिल है।
भारत को आगे बढ़ना है तो इसके लिए हमें दुनिया की दूसरी शक्तियों के साथ जुड़ना होगा और संतुलित रूप से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट में शामिल होना होगा।
RCEP में शामिल नहीं होने पर चीन ने अपनी खीज निकाली है। चीन के अखबारों ने लिखा है कि भारत ने रणनीतिक तौर पर एक भारी गलती की है।
अमेरिका ने भारत के साथ उसके ऊंचे व्यापार घाटे पर भी चिंता जताई है।
अमेरिका ने चीन को पीछे छोड़कर भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार होने का तमगा हासिल कर लिया है। इससे भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार संबंधों का पता चलता है।
एक साल से अधिक की खींचातानी के बाद अंतत: कनाडा और अमेरिका की सरकारें मुक्त व्यापार को लेकर नये समझौते पर सहमत हो गई हैं।
भारत और तुर्की के बीच सोमवार को द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संबंध मजबूत करने पर सहमति बनी। एर्दोगन ने कहा कि मुक्त व्यापार समझौता शुरू करना अच्छा रहेगा।
अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रोज ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन को भारत और अमेरिका के बीच मुक्त व्यापार संधि के विचार को लेकर बुनियादी कोई आपत्ति नहीं है।
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