दिलचस्प बात यह है कि सितंबर में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में 57,724 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था, जो नौ माह का उच्चस्तर था।
एफपीआई की बिकवाली की वजह से प्रमुख सूचकांक अपने शीर्ष स्तर से करीब 8% नीचे आ गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने समीक्षाधीन अवधि के दौरान बॉन्ड से सामान्य सीमा के माध्यम से 4,406 करोड़ रुपये निकाले हैं।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की निरंतर बिकवाली के रुख में तत्काल बदलाव आने की संभावना नहीं है। चीन के प्रोत्साहन उपायों की वजह से एफपीआई वहां के बाजार का रुख कर रहे हैं।
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के अनुसार, 4 अक्टूबर तक FPI ने भारतीय इक्विटी में ₹27,142 करोड़ की बिकवाली की।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि भविष्य में बाजार में तेजी बने रहने की स्थिति में विदेशी निवेशक अधिक बिक्री कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि भारतीय इक्विटी बाजार का मूल्यांकन तुलनात्मक रूप से ऊंचा बना हुआ है।
देश की सॉलिड अर्थवस्वस्था और सरकारी नीतियों को ध्यान में रखते हुए विदेशी निवेशकों ने इस साल जुलाई में कुल 32,365 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। हालांकि, अगस्त के शुरुआती दो दिनों में उन्होंने 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचकर पैसे निकाले हैं।
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स की यूएई बिजनेस एंड स्ट्रेटेजी की प्रमुख तनवी कंचन ने कहा कि भारत में विदेशी निवेशकों की बिक्री के मुकाबले 24 मई तक घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 40,986 करोड़ का निवेश किया गया है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में 10-वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गया है, जिससे निकट अवधि में भारत में एफपीआई निवेश प्रभावित होगा।
अमेरिका में बढ़ती बांड पैदावार चिंता का विषय है और इससे नकदी बाजार में बिकवाली का हालिया दौर शुरू हो गया है। वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी फेड की धुरी से शुरू हुई, जिसमें 10 साल की बॉन्ड यील्ड 5 प्रतिशत से गिरकर लगभग 3.8 प्रतिशत हो गई।
भारत में एफपीआई प्रवाह में 2023 में बदलाव देखा गया और 28.7 अरब डॉलर का निवेश दर्ज किया गया। इससे पहले 2022 में एफपीआई ने घरेलू बाजार से 17.9 अरब डॉलर निकाले थे। 2023 में निवेश 2017 के बाद सबसे अधिक रहा, जब एफपीआई ने घरेलू बाजार में 30.8 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था।
19 अक्टूबर को 5 प्रतिशत के शिखर पर पहुंचने के बाद 10-वर्षीय अमेरिकी बांड यील्ड में गिरावट शुरू हुई। पिछले दो दिनों के दौरान इसमें भारी गिरावट आई है, जिससे 3 नवंबर को यील्ड तेजी से घटकर 4.66 फीसदी रह गई। बांड यील्ड में इस उलटफेर का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल की टिप्पणी है।
इससे पहले, जनवरी-फरवरी के दौरान एफपीआई ने 34,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एक से पांच मार्च के दौरान एफपीआई ने शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 881 करोड़ रुपये और ऋण या बांड बाजार से 4,275 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 5,156 करोड़ रुपये रही है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने कोरोना वायरस से फैली महामारी के कारण वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका गहराने को लेकर मार्च महीने में अब तक घरेलू पूंजी बाजारों से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है।
छह माह से जारी लिवाली के रुख से अलग विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मार्च के शुरुआती पांच कारोबारी दिवस में शुद्ध तौर पर बिकवाली की है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने फरवरी में भारतीय पूंजी बाजारों में शुद्ध रूप से 6,554 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को कहा कि मॉरीशस के विदेशी निवेशक एफपीआई पंजीकरण के पात्र बने रहेंगे।
बजट के बाद बनी सकारात्मक धारणा तथा रिजर्व बैंक के उदार रुख बनाये रखने से उत्साहित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने फरवरी महीने में अब तक घरेलू बाजार में 23,102 करोड़ रुपए लगाए हैं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जनवरी में भारतीय शेयर बाजारों में 12,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया।
अमेरिका और चीन के बीच पहले चरण के व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने से उत्साहित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जनवरी महीने में अब तक भारतीय पूंजी बाजार में 1,624 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
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