मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारतीय बाजार लगातार ऊपर चढ़ रहे हैं जिसकी वजह से मूल्यांकन को लेकर चिंता पैदा हो सकती है।
इससे पहले अप्रैल में विदेशी निवेशकों ने शेयरों में 11,630 करोड़ रुपये और मार्च में 7,936 करोड़ रुपये डॉले थे।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 में उनकी निकासी की रफ्तार धीमी होकर 37,632 करोड़ रुपये रही है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने मार्च में भारतीय शेयरों में शुद्ध रूप से 7,396 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे पहले फरवरी में उन्होंने 5,294 करोड़ रुपये और जनवरी में 28,852 करोड़ रुपये की निकासी की थी।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि इस निवेश की वजह लंबी अवधि में भारतीय शेयर बाजारों की बेहतर संभावनाएं हैं।
इस साल की शुरुआत से 10 फरवरी तक एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे थे। इस दौरान उन्होंने 38,524 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। इसमें जनवरी में उनके द्वारा की गई 28,852 करोड़ रुपये की बिकवाली भी शामिल है।
भारतीय रुपये के स्थिर होने तथा दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत होने की वजह से विदेशी निवेशक फिर भारत पर दांव लगा रहे हैं।
एफपीआई ने एक से चार नवंबर के बीच भारतीय इक्विटी बाजारों में 15,280 करोड़ रुपये का निवेश किया।
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि एफपीआई की बिकवाली के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों के खरीदार बने रहने से शेयर बाजारों को मजबूती मिल रही है।
जानकारों का मानना है कि आने वाले महीनों में भी एफपीआई की गतिविधियों में उतार-चढ़ाव का सिलसिला कायम रहने की संभावना है। उन्होंने इसके लिए वैश्विक कारकों के अलावा घरेलू कारणों को भी जिम्मेदार माना है।
इस साल अप्रैल से अब तक एफपीआई ने इक्विटी में 80,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसमें आधे से ज्यादा निवेश अकेले अगस्त में हुआ है।
डिपोजिटरी के आंकड़े के अनुसार, एफपीआई ने शेयर बाजारों में 6,301.96 करोड़ रुपए शुद्ध निवेश किए जबकि बांड बाजार से 3,688.94 करोड़ रुपए निकाले।
आने वाले दिनों में विदेशी पोटफोलियो निवेशकों का प्रवाह इस बात पर निर्भर करेगा कि आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन कैसा रहता है और कंपनियों के तिमाही परिणाम कैसे आते हैं।
FPI ने मार्च में भारतीय पूंजी बाजारों में रिकॉर्ड 57,000 करोड़ रुपए का निवेश किया। निवेशकों को उम्मीद है कि सरकार साहसी कदम उठाएगी।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अभी तक कैपिटल मार्केट्स में करीब 6,800 करोड़ रुपए (एक अरब डॉलर) का निवेश किया है।
FPI ने अगस्त में भारतीय शेयर बाजारों में 9,000 करोड़ रुपए डाले हैं। वैश्विक और घरेलू कारकों से भारतीय शेयरों के प्रति एफपीआई का आकर्षण कायम है।
सकारात्मक वैश्विक संकेतों और जीएसटी पास होने के कारण एफपीआई ने चालू महीने के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजारों में करीब 2,300 करोड़ रुपए डाले हैं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने जुलाई महीने में भारतीय शेयर बाजारों में 12,600 करोड़ रुपए का निवेश किया। चार महीने में यह सर्वाधिक है।
सेबी के पास अप्रैल में 269 नए FPI ने पंजीकरण कराया। इससे निवेशकों के भारत की आर्थिक वृद्धि यात्रा का हिस्सा बनने की इच्छा का संकेत मिलता है।
एफपीआई ने अप्रैल-जून तिमाही में सेंसेक्स आधारित 16 कंपनियों में अपना निवेश बढ़ाते हुए 17,000 करोड़ रुपए (मौजूदा मूल्यांकन) से अधिक मूल्य के शेयर खरीदे।
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