यह दिसंबर, 2023 के बाद सबसे अधिक शुद्ध प्रवाह है। उस समय एफपीआई ने शेयरों में 66,135 करोड़ रुपये का निवेश किया था। जून से एफपीआई लगातार निवेश कर रहे हैं।
संतुलित राजकोषीय घाटा, दर कटौती के भारतीय मुद्रा पर प्रभाव, मजबूत मूल्यांकन और भारतीय रिजर्व बैंक के महंगाई पर नियंत्रण के रुख की वजह से भारत जैसे उभरते बाजार एफपीआई के लिए आकर्षक बने हुए हैं।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल में गिरावट के कारण भारत जैसे उभरते बाजारों में एफपीआई प्रवाह के लिए यह सकारात्मक है।
सितंबर की शुरुआत में मुख्य रूप से भारतीय बाजार के लचीलेपन के कारण एफपीआई द्वारा बेहतर खरीदारी देखी गई। एफपीआई ने 6 सितंबर तक एक्सचेंजों के माध्यम से इक्विटी में 9,642 करोड़ रुपये और 'प्राथमिक बाजार और अन्य' श्रेणी के माध्यम से 1,388 करोड़ रुपये का निवेश किया।
विदेशी निवेशकों की ओर से डेट मार्केट में बड़ी खरीदारी होने की वजह इस साल जून में जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड को शामिल करना है। जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट्स बॉन्ड इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड का वेटेज 10 प्रतिशत होगा।
बजट में शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एसटीसीजी) को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं, लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
एफपीआई के प्रवाह में उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। एफपीआई ने जनवरी, अप्रैल और मई में कुल मिलाकर 60,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। वहीं फरवरी, मार्च और जून में उन्होंने 63,200 करोड़ रुपये की खरीदारी की है।
चुनाव को लेकर असमंजस की वजह से विदेशी निवेशकों ने मई में शेयर बाजार से 25,586 करोड़ रुपये की निकासी की थी। मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने की चिंता के कारण एफपीआई ने अप्रैल में शेयरों से 8,700 करोड़ रुपये से अधिक निकाले थे।
इससे पहले मई में चुनावी नतीजों को लेकर अनिश्चितता के बीच एफपीआई ने शेयरों से 25,586 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी।
इससे पहले मई में एफपीआई ने चुनावी नतीजों से पहले शेयरों से 25,586 करोड़ रुपये निकाले थे। वहीं मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में निरंतर वृद्धि की चिंताओं के कारण अप्रैल में उन्होंने 8,700 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी।
FPI Investment in May : एफपीआई की लिवाली का सिलसिला चुनावी नतीजों से पहले भी शुरू हो सकता है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने (24 मई तक) शेयरों से शुद्ध रूप से 22,047 करोड़ रुपये निकाले हैं।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने (10 मई तक) अबतक शेयरों से 17,083 करोड़ रुपये निकाले हैं। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की आक्रामक बिकवाली के कई कारण हैं।
विदेशी निवेशकों की ओर से भारतीय बाजार में लगातार निवेश किया जा रहा है। हालांकि, उनके निवेश के ट्रेंड में बड़ा बदलाव भी आया है। वह कई सेक्टर में पैसा लगा रहे हैं। वहीं, कुछ से पैसा निकाल भी रहे हैं।
विदेशी निवेशकों की ओर से चालू वित्त वर्ष में भारतीय बाजारों में 2.08 लाख करोड़ का निवेश किया गया है। यह निवेश दो वर्ष तक लगातार निकासी के बाद हुआ है।
शेयरों के अलावा एफपीआई ने इस महीने में 22 मार्च तक ऋण या बॉन्ड बाजार में 13,223 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि तीन कारणों से एफपीआई भारतीय बाजार में रुचि दिखा रहे हैं। इनमें बाजार की मजबूती और अमेरिकी में बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट के अलावा जीडीपी की वृद्धि दर के उम्मीद से बेहतर आंकड़े शामिल हैं।
FPI investment in february-एफपीआई पिछले कुछ महीनों से जेपी मॉर्गन सूचकांक में भारत सरकार के बांड को शामिल करने की घोषणा से प्रभावित होकर ऋण बाजार में पैसा लगा रहे हैं। उन्होंने बॉन्ड बाजार में फरवरी में 22,419 करोड़ रुपये डाले।
इंडियन बॉन्ड मार्केट में विदेशी निवेशकों का आकर्षण बढ़ने की वजह जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारत सरकार के बॉन्ड को शामिल किए जाना और व्यापक रूप से देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत परिदृश्य है।
जनवरी में एफपीआई ने बॉन्ड बाजार में शुद्ध रूप से 19,836 करोड़ रुपये डाले हैं। यह जून, 2017 के बाद उनके निवेश का सबसे ऊंचा मासिक स्तर है। उस समय उन्होंने बॉन्ड बाजार में 25,685 करोड़ रुपये डाले थे।
साल 2024 के पहले 15 दिन में ऑयल एंड गैस सेक्टर में एफपीआई ने सबसे ज्यादा खरीदारी की है। वहीं, ऑटोमोबाइल्स एंड कंपोनेंट्स और मीडिया एंटरटेनमेंट सेक्टर में सबसे ज्यादा बिकवाली की है।
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