समीक्षावधि में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की प्रमुख वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में कमी आना है।
इससे पहले 7 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 3.623 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी और यह 538.191 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020-21 के दौरान रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में 45 अरब डॉलर का हस्तक्षेप कर सकता है, जिसमें से रिजर्व बैंक 25.5 अरब डॉलर का अब तक पहले ही कर चुका है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार गत 19 जून को समाप्त सप्ताह के दौरान अपनी सर्वकालिक ऊंचाई से 2.078 अरब डॉलर घटकर 505.56 अरब डॉलर रह गया।
कोरोना महामारी की वजह से देश में लॉकडाउन लगा हुआ है, हालांकि इस महीने लॉकडाउन में ढील दी गई है लेकिन अभी भी कई जगहों पर उद्योग धंधे बंद हैं। ऐसी विपरीत परिस्थितियों के बीच भी विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत हो सकता है।
देश में 31 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.607 अरब डॉलर बढ़कर 471.3 अरब डॉलर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति बढ़ने से मुद्रा भंडार बढ़ा है।
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार भी 15.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 28.715 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया।
डॉलर में व्यक्त की जाने वाली विदेशी मुद्रा संपत्ति पर मुद्रा भंडार में रखी गैर-अमेरिकी मुद्राओं जैसे यूरो, पौंड और येन में होने वाले उतार-चढ़ाव का भी असर पड़ता है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कुछ महीनों से लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है और यह पहली बार 450 अरब डॉलर के पार पहुंचा है।
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार भी 23.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 27.17 अरब डॉलर हो गया।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट दर्ज की गयी। 20 सितंबर को समाप्त सप्ताह में 38.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 428.572 अरब डॉलर रह गया। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में कमी और स्वर्ण आस्तियों के घटने के कारण यह गिरावट आई है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 जून को समाप्त सप्ताह में 1.35 अरब डॉलर घटकर 422.2 अरब डॉलर पर आ गया।
आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार बिना किसी बदलाव के 22.95 अरब डॉलर पर स्थिर रहा।
इससे पिछले सप्ताह के दौरान मुद्रा भंडार में 94.47 करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई थी और यह 399.217 अरब डॉलर हो गया था।
डॉलर में अभिव्यक्त किए जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियां, मुद्राभंडार में रखे यूरो, पौंड और जापानी येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्राओं की मूल्यवृद्धि और मूल्यह्रास के प्रभावों को भी समाहित करता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि इसका मुख्य कारण प्रमुख मुद्रा परिसंपत्तियों में कमी आना है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में 61.39 करोड़ डॉलर घटकर 393.12 अरब डॉलर पर आ गया, जो 28,156.9 अरब रुपए के बराबर है।
देश का विदेशी मुद्राभंडार 9 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 12.12 करोड़ अमरीकी डॉलर घटकर 393.01 अरब डॉलर रह गया, जो 28,606.3 अरब रुपए के बराबर है।
26 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.444 अरब डॉलर घटकर 392.078 अरब डॉलर रह गया
12 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 5.143 अरब डॉलर घटकर 394.465 अरब डॉलर रह गया।
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