इससे पहले अक्टूबर 2021 से जून 2022 के बीच उन्होंने भारतीय इक्विटी बाजारों में 2.46 लाख करोड़ रुपये की भारी बिक्री की थी।
एपीआई के तहत प्रबंधित संपत्ति का आंकड़ा 44.07 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इतिहास में अबतक का सबसे ऊंचा स्तर है।
दिसंबर अंत तक निवेश की गई 87,132 करोड़ रुपये की राशि में से 78,870 करोड़ रुपये शेयरों में निवेश किये गये हैं जबकि 7,562 करोड़ रुपये बॉन्ड्स में और 700 करोड़ रुपये हाईब्रिड सिक्योरिटीज में निवेश किये गये हैं।
यह साल 2002 के बाद किसी कैलेंडर वर्ष के दौरान विदेशी निवेशकों के द्वारा किया गया सबसे ऊंचा निवेश है। यह इतिहास में पांचवां अवसर है जबकि शेयरों में एफपीआई का शुद्ध निवेश किसी साल में एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है।
छह माह से जारी लिवाली के रुख से अलग विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने मार्च के शुरुआती पांच कारोबारी दिवस में शुद्ध तौर पर बिकवाली की है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि निवेशकों को पूरी दुनिया में भारत से बेहतर कोई जगह नहीं मिलेगी जहां लोकतंत्र में यकीन करने के साथ ही पूंजीवाद का सम्मान किया जाता है।
पिछले दो महीनों में लगातार बिकवाली करने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर भारतीय पूंजी बाजार में 7,714 करोड़ रुपए की शुद्ध निवेश किया है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) सितंबर के पहले पखवाड़े में शुद्ध लिवाल रहे। एफपीआई ने पूंजी बाजारों में 1,841 करोड़ रुपए की पूंजी डाली। इससे पहले लगातार दो महीने पीएफआई शुद्ध बिकवाल रहे थे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि 2022 में जब देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा। सरकार उसी वर्ष अमीरों (सुपर रिच) पर कर-अधिभार की समीक्षा करेगी।
वैश्विक एवं घरेलू मोर्चे पर बाजारों में गिरावट के कारण अगस्त के पहले सात कारोबारी सत्रों में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय पूंजी बाजार से 9,197 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की।
सरकार विदेशी निवेश आकर्षित करने के इरादे से अनुबंध आधार पर विनिर्माण में 100 प्रतिशत एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की मंजूरी देने के प्रस्ताव पर काम कर रही है, सूत्रों ने यह जानकारी दी। मौजूदा विदेश निवेश नीति के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में स्वत: मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है।
आम बजट 2019-20 के बाद शेयर बाजार में विदेशी पूंजी की भारी निकासी के बावजूद विदेशी निवेशक जुलाई महीने में अब तक भारतीय पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल बने हुए हैं।
बजट से पहले के पूर्वानुमानों और वैश्विक स्तर पर छाए व्यापार तनाव के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय बाजार से जुलाई के पहले हफ्ते में 475 करोड़ रुपये की निकासी की है।
इससे पहले एफपीआई ने मई में 9,031.15 करोड़ रुपए, अप्रैल में 16,093 करोड़ रुपए, मार्च में 45,981 करोड़ रुपए और फरवरी में 11,182 करोड़ रुपए का निवेश किया था।
डिपॉजिटरी के पास मौजूद ताजा आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2-31 मई के दौरान शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 7,919.73 करोड़ रुपए का निवेश किया
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने पिछले चार कारोबारी सत्रों में भारतीय पूंजी बाजारों से 9,300 करोड़ रुपए (1.3 अरब डॉलर) निकाले।
विदेशी निवेशकों ने कंपनियों के बेहतर तिमाही परिणामों तथा कच्चे तेल की कीमतों में सुधार आने की वजह से इस माह में अब तक भारतीय पूंजी बाजार में 7500 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है।
डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपए में लगातार गिरावट के पीछे बड़ी वजह देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार आ रही गिरावट भी है, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक 15 जून को खत्म हफ्ते के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 410.07 अरब डॉलर दर्ज किया गया है जो 2018 में सबसे कम स्तर है और रिकॉर्ड स्तर से करीब 16 अरब डॉलर कम है
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक भारतीय पूंजी बाजारों से कुल मिलाकर 15,500 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी की है।
नवीतनम डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशकों (FPI) ने 3-27 अक्टूबर के दौरान डेट मार्केट में 15,132 करोड़ रुपए का अतिरिक्त निवेश किया।
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