26 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.444 अरब डॉलर घटकर 392.078 अरब डॉलर रह गया
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बताया कि 19 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा आस्तियों में गिरावट आने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 94.2 करोड़ डॉलर घटकर 393.52 अरब डॉलर रह गया,
पांच अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में गिरावट के कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार 91.58 करोड़ डॉलर घटकर 399.60 अरब डॉलर रह गया।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 17 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 3.32 करोड़ डॉलर घटकर 400.84 अरब डॉलर रह गया, जो 28100.7 अरब रुपए के बराबर है।
भारतीय करेंसी रुपए ने भी मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचला स्तर छुआ था। डॉलर के मुकाबले रुपए ने मंगलवार को 70.09 का निचला स्तर छुआ
डॉलर का भाव 105 पैसे बढ़कर 69.88 रुपए हो गया है जो अबतक का सबसे ज्यादा भाव है और रुपए का सबसे निचला स्तर है
अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा ईरान पर कुछ प्रतिबंध आज फिर से लगाए जाने के बीच ईरान के केंद्रीय बैंक ने मुद्रा विनिमय कार्यालयों से प्रतिबंध हटा दिया है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में सोने का आधिकारिक रिजर्व 64.6 टन है और वह दुनियाभर में गोल्ड रिजर्व के मामले में 44वें स्थान पर है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 13 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान 73.45 करोड़ डॉलर घटकर 405.07 अरब डॉलर पर आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक के आज जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार छह जुलाई को समाप्त सप्ताह में 24.82 करोड़ डॉलर घटकर 405.81 अरब डॉलर रह गया। यह गिरावट विदेशी मुद्रा आस्तियों में बढ़ोतरी के बावजूद आई है।
3 हफ्तों से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एकतरफा गिरावट देखी जा रही है, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक शुक्रवार को खत्म हुए हफ्ते के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.75 अरब डॉलर घटकर 406.05 अरब डॉलर दर्ज किया गया है जो करीब ढाई महीने यानि 13 अप्रैल के बाद सबसे निचला स्तर है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) 22 जून को समाप्त सप्ताह के दौरान 2.25 अरब डॉलर घटकर 407.81 अरब डॉलर रह गया। मुद्रा भंडार का यह सात महीने का सबसे निचला स्तर है।
डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपए में लगातार गिरावट के पीछे बड़ी वजह देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार आ रही गिरावट भी है, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक 15 जून को खत्म हफ्ते के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 410.07 अरब डॉलर दर्ज किया गया है जो 2018 में सबसे कम स्तर है और रिकॉर्ड स्तर से करीब 16 अरब डॉलर कम है
श्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर इंटरनेशनल ने पाकिस्तन की सॉवरेट रेटिंग को घटाकर स्टेबल से निगेटिव कर दिया है। रेटिंग एजेंसी ने यह कदम विदेशों के साथ करोबार की दृष्टि से देश की कमजोरी और आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव को देखते हुए उठाया है।
देश का विदेशी पूंजी भंडार 8 जून को समाप्त सप्ताह में 87.95 करोड़ डॉलर बढ़कर 413.10 अरब डॉलर हो गया, जो 27,881.9 अरब रुपए के बराबर है।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को लेकर नए सिरे से आशंका जताई जा रही है, क्योंकि मौजूदा कार्यवाहक सरकार ने चालू खाते के घाटे से निपटने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार के इस्तेमाल का वचन दिया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी तेजी से घट रहा है।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति कितनी खराब हो चुकी है, इसका अंदाजा उसके विदेशी मुद्रा भंडार से लगाया जा सकता है। कई बार करेंसी की उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए भारत महीने भर में जितने डॉलर खर्च कर देता है, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ उतना ही बचा है। अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 10.32 अरब डॉलर बचा है। पाकिस्तान का यह रिजर्व उसके आयात की सिर्फ 2 महीने की जरूरत को पूरा कर पाने में सक्षम है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के तय किए हुए मानकों से कम है
देश में पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय अप्रैल 2018 के दौरान 15,713 करोड़ रुपए रही, जो कि अप्रैल, 2017 की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। पर्यटन मंत्रालय ने आज बयान में यह जानकारी दी।
इस महीने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार को 4 साल होने जा रहे हैं। अगले साल फिर से देश में आम चुनाव होने हैं ऐसे में मौजूदा मोदी सरकार में हुए कामकाज की तुलना पहले की मनमोहन सिंह सरकार के कामकाज से होने लगी है। इस कड़ी में आज हम तुलना कर रहे हैं मोदी और मनमोहन के समय देश में जमा हुई विदेशी मुद्रा की
देश का विदेशी मुद्रा भंडार चार मई को समाप्त सप्ताह में 1.426 अरब डॉलर घटकर 418.940 अरब डॉलर रह गया, जो 27,962.8 अरब रुपए के बराबर है। इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में कमी आना है।
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