रबी की फसल के रकबे में भारी कमी के कारण प्याज की कम आवक और पश्चिम बंगाल में फसल खराब होने से आलू की आवक कम होने से इन सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई।
भारत ने इंडिका सफेद चावल (indica white rice) की विदेशी अनाज बिक्री पर बैन लगा दिया था, जिससे दुनियाभर में इसका असर हुआ और कीमतें आसमान छू रही हैं।
जुलाई महीने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 3.96 प्रतिशत रही जो इससे पिछले माह में 5.15 प्रतिशत थी। वहीं जून के दौरान मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और बिजली उत्पादन में बढ़त देखने को मिली है।
थोक महंगाई दर मे जनवरी के दौरान दिसंबर के मुकाबले 1.77 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। खादय् पदाथों की कीमतों में 2.99 प्रतिशत और गैर खाद्य पदाथों की कीमत में 0.43 प्रतिशत की कमी देखने को मिली है
दालों के दाम एक साल पहले के मुकाबले 30 प्रतिशत तक बढ़े
मार्च के महीने में खाद्य महंगाई 10 फीसदी से नीचे आई
आर्थिक सर्वे की माने तो 2006 से 2019 के बीच थाली की प्रभावी कीमत में गिरावट दर्ज हुई है
सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए हैं। खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर 5.54 प्रतिशत हो गई जो पिछले महीने अक्टूबर में 4.62 प्रतिशत थी।
खाद्य समूह की मुद्रास्फीति सितंबर के 5.11 प्रतिशत से उछलकर अक्टूबर में 7.89 प्रतिशत पर पहुंच गई।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े के अनुसार खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर जुलाई में 2.36 प्रतिशत रही, जो इससे पूर्व महीने में 2.25 प्रतिशत से थोड़ा अधिक है।
आंकड़ों के अनुसार खाद्य पदार्थों की श्रेणी में महंगाई दर अप्रैल में 1.1 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो मार्च में 0.3 प्रतिशत थी।
खाने-पीने की वस्तुओं के सस्ता होने से रिटेल मुद्रास्फीति मई में रिकॉर्ड 2.18% के निम्न स्तर पर आ गई, वहीं अप्रैल में आईआईपी बढ़कर 3.1 प्रतिशत रहा।
मार्च महीने में थोक महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है। यह फरवरी महीने के मुकाबले 6.55 फीसदी से गिरकर 5.70 फीसदी पर आ गई है।
महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को बड़ा झटका लगा है। फरवरी में थोक महंगाई दर (WPI) 6.55 फीसदी पहुंच गई, जो लगभग 39 महीनें का उच्चतम स्तर है।
रिटेल महंगाई दर सितंबर में घटी है। खाद्य पदार्थों की कीमतें कम होने की वजह से मुद्रास्फीति सितंबर में घटकर 4.31 प्रतिशत रही जो अगस्त में 5.05 प्रतिशत थी।
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