प्याज और दूसरी सब्जियों सहित खाने-पीने के सामान के दाम बढ़ने से अक्टूबर में थोक महंगाई 3.59 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह इसका पिछले छह माह का उच्च स्तर है
मार्च महीने में थोक महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है। यह फरवरी महीने के मुकाबले 6.55 फीसदी से गिरकर 5.70 फीसदी पर आ गई है।
महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी को बड़ा झटका लगा है। फरवरी में थोक महंगाई दर (WPI) 6.55 फीसदी पहुंच गई, जो लगभग 39 महीनें का उच्चतम स्तर है।
नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) लगातार तीसरे महीने गिरकर 3.15 फीसदी पर आ गई है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी थी।
कोई दुकानदार किसी सामान के एमआरपी (मैक्सिमम रिटेल प्राइस) से ज्यादा कीमत वसूलता है, तो ग्राहक मोबाइल एप के जरिए सीधे सरकार से शिकायत कर सकता है।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) अगस्त में बढ़कर 3.74 फीसदी पर पहुंच गई, जो इसका दो साल का उच्चस्तर है। इस दौरान आलू और दाल में तेजी आई।
सब्जी और खाने-पीने की चीजों की कीमतों में आई कमी से रिटेल महंगाई दर अगस्त में घटकर पांच महीने के न्यूनतम स्तर 5.05 फीसदी पर आ गई। जुलाई में यह 6.07 फीसदी थी
लंबे समय से घाटी में जारी तनाव के चलते बादाम के दाम एक महीने में 18 फीसदी बढ़कर 1,300 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गए हैं।
सब्जियों, दालों और चीनी के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित महंगाई दर भी जुलाई माह में तेजी से बढ़ती हुई 3.55 फीसदी पर पहुंच गई।
मंडियों में आवक कम होने से सब्जियों के दाम पिछले तीन-चार महीने में 100 प्रतिशत तक चढ़ गए हैं। थोक और खुदरा बाजार में भारी अंतर हैं।
सरकार ने अगले पांच साल के लिए मुद्रास्फीति को चार फीसदी (दो फीसदी ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने के लक्ष्य को आज अधिसूचित कर दिया।
ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी एचएसबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में रिटेल महंगाई दर अगले दो महीने में छह फीसदी से अधिक रहने का अनुमान लगाया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बेहतर मानसून और कृषि उत्पादन में सुधार से कीमतों का दबाव कम होगा।
खाने पीने की वस्तुओं के आसमान छूते दाम के बीच मई में थोक महंगाई दर में जोरदार इजाफा हुआ है। मई में थोक महंगाई की दर बढ़कर 0.79 फीसदी पर पहुंच गई।
सब्जी और कुछ अन्य फूड आइटम के दाम बढ़ने से रिटेल महंगाई दर मई महीने में बढ़कर 5.76 फीसदी पहुंच गई। यह लगातार दूसरा महीना है जब महंगाई दर बढ़ी है।
शेयर बाजार की दिशा महंगाई दर के आंकड़े, मानसून की चाल और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक सहित प्रमुख वैश्विक घटनाक्रम इस हफ्ते निर्धारित करेंगे।
चालू वित्त वर्ष में दलहन और धान के मएसपी में बढ़ोतरी का महंगाई दर और सब्सिडी पर नाममात्र प्रभाव होगा। सीपीआई में 0.4 से 0.45 प्रतिशत तक का योगदान होगा।
दाल, आलू तके दाम चढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 18 महीने बाद नकारात्मक से सकारात्मक हुई है। अप्रैल में मुद्रास्फीति 0.34 फीसदी पर पहुंच गई।
अप्रैल में थोक अधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) (-)0.85 फीसदी से बढ़कर 0.34 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पहले रिटेल महंगाई में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
महंगाई आंकड़ों के सरकार की चिंता बढ़ा दी है। अप्रैल में रिटेल महंगाई दर (सीपीआई) बढ़कर 5.39 फीसदी हो गई है। जबकि मार्च में महंगाई दर 4.83 फीसदी थी।
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