कंपनी ने कहा कि ईडब्ल्यूएस के लिए फ्लैट की कीमत सिर्फ 5.35 लाख रुपये होगी जबकि निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए बने फ्लैट की कीमत 12.58 लाख रुपये से शुरू होगी। ये प्रोजेक्ट गाजियाबाद के सिद्धार्थ विहार में 40 एकड़ में फैली प्रतीक ग्रैंड सिटी टाउनशिप का हिस्सा है।
वर्कस्पेस यानी ऑफिस स्पेस की डिमांड 1.61 करोड़ वर्ग फुट से 18 प्रतिशत बढ़कर 1.9 करोड़ वर्ग फुट हो गई। ये वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) स्थापित करने की इच्छा रखने वाली मल्टीनेशनल कंपनियों की हाई डिमांड से प्रेरित रही।
महाराष्ट्र के गृहनिर्माण मंत्री अतुल सावे ने बताया कि डीसीआर 33 (5), 33 (7) और 58 के तहत पुनर्विकास परियोजनाओं के जरिए लिए गए 370 घरों की कीमतों में 10 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक कटौती की गई है।
बिल्डरों द्वारा अधिक प्रीमियम फ्लैट लॉन्च किए जाने के चलते अप्रैल-जून की अवधि में सात प्रमुख शहरों में किफायती अपार्टमेंट्स की नई सप्लाई, जिनकी कीमत 50 लाख रुपये से कम है, में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है।
रोजेक्ट गोदरेज जार्डिनिया नाम के इस प्रोजेक्ट में कंपनी ने फ्लैट्स की बिक्री की है। कंपनी ने कहा कि बिक्री मूल्य के मामले में यह गोदरेज प्रॉपर्टीज की नोएडा में अभी तक की सबसे सफल पेशकश है।
डीएलएफ प्रिवाना वेस्ट नाम के इस प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने की होड़ सी लग गई और देखते ही देखते सभी फ्लैट बिक गए। यह नई परियोजना 12.57 एकड़ में फैली है जिसमें 795 फ्लैट हैं।
बीते कुछ सालों में रियल एस्टेट सेक्टर में शानदार डिमांड देखी जा रही है। घरों की कीमतें भी बढ़ी हैं। खासकर बड़े घर और लग्जरी फ्लैट्स की डिमांड बीते कुछ समय से तेज देखने को मिल रही है।
मध्यम वर्ग में बढ़ती समृद्धि के साथ, एक महत्वपूर्ण आबादी वर्ग ने बेहतर क्रय शक्ति और उच्च आकांक्षाएं विकसित की हैं। इन कारकों के कारण मिड रेसिडेंशियल सेगमेंट में मांग बढ़ रही है।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 24,944 करोड़ रुपये, गाजियाबाद में 4,404 करोड़ रुपये, दिल्ली में 2,610 करोड़ रुपये और फरीदाबाद में 470 करोड़ रुपये मूल्य के घरों की बिक्री पिछले साल हुई।
प्रोजेक्ट को पेश करने से पहले के फेज में ही 72 घंटे में सारे अपार्टमेंट बिक गए हैं। आवासीय संपत्तियों की मजबूत मांग को देखते हुए कंपनियों के कारोबार में पंख लग गए हैं।
गोदरेज प्रॉपर्टीज के कार्यकारी चेयरमैन पिरोजशा गोदरेज ने कहा, बीते वित्त वर्ष में कंपनी के अच्छे प्रदर्शन की वजह यह है कि हमारे पास देशभर में परियोजनाओं का मजबूत पोर्टफोलियो है।
नोएडा के सेक्टर-150 में औसत किराये में सबसे अधिक 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र में किराया वर्ष 2019 में 15,500 रुपया हुआ करता था लेकिन पिछले साल यह लगभग 19,000 रुपये प्रति माह हो गया।
देश के आठ प्रमुख शहरों में चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में घरों की बिक्री सालाना आधार पर 59 प्रतिशत बढ़ककर 55,907 इकाई पर पहुंच गई। प्रॉपटाइगर.कॉम ने यह जानकारी दी है।
दिल्ली की 1731 अनधिकृत कालोनियों में मालिकाना हक देने की शुरुआत डीडीए करीब डेढ़ साल पहले ही कर चुका है, लेकिन इन कालोनियों में विकास कार्यों की शुरुआत अभी भी अटकी हुई हैं।
मॉडल टेनेंसी एक्ट या आदर्श किरायेदारी कानून के मसौदे को मंजूरी दे दी है, जिसे अब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा जायेगा।
कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के देश भर में लगभग 20 हजार सदस्य हैं। संगठन ने रियल एस्टेट निवेश न्यास (रीट) में निवेश को बढ़ावा देने के लिये कर प्रोत्साहन की भी सिफारिश की।
उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिला प्रशासन ने नोएडा में व्यावसायिक भूखंडों की सर्किल दर में 21.5 प्रतिशत कटौती करने और जिले में आवासीय परियोजनाओं पर छः प्रतिशत अधिभार समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है।
देश में मकान की कीमतें इस समय ग्राहकों की जेब के हिसाब से 15 साल के सबसे मुनासिब स्तर पर हैं।
देश के सात प्रमुख शहरों में घरों की बिक्री 2013 और 2014 के स्तर से 2017 में4 0% गिर गई है। पिछले साल 2,02,800 आवास बेचे गए। इसका प्रमुख कारण दिल्ली-एनसीआर के आवासीय बाजार में तेज गिरावट होना रही।
जेपी समूह नोएडा में अपने अधर में लटके 24 हजार फ्लैट को करीब आठ हजार करोड़ रुपए के खर्च से 2020 तक बनाने व उपभोक्ताओं को उन्हें मुहैया कराने का लक्ष्य तय कर रही है।
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