बजट पेश करने जा रहे वित्त मंत्री अरुण जेटली के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वो देश के लिए आर्थिक विकास चुनें या राजकोषीय सख्ती।
वित्त वर्ष 2015-16 के पहले नौ महीने में राजकोषीय घाटा बजट के सालाना लक्ष्य का 88 फीसदी रहा। ताजा आंकड़े सरकार की वित्तीय हालत में सुधार का संकेत देते हैं।
केंद्र सरकार ने कहा है कि वह चालू वित्त वर्ष में विकास खर्च और व्यय से समझौता किए बगैर राजकोषीय घाटा कम करने के लक्ष्य को हासिलर कर लेगी।
सरकार ने साल 2015-16 के लिए छमाही इकोनॉमिक सर्वे जारी कर दिया है। इसमें जीडीपी अनुमान को 8.1-8.5 फीसदी से घटाकर 7-7.5 फीसदी कर दिया गया है।
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा, चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीने में पूरे साल के बजट अनुमान के 74 फीसदी के स्तर पर पहुंचकर 4.11 लाख करोड़ रुपय हो गया है।
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