राजकोषीय घाटा सरकार के आय और व्यय के अंतर को बताता है। इसका मतलब है कि सरकार के पास जो साधन हैं, वह उससे अधिक खर्च कर रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि 2020-21 के बजट को राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.8 प्रतिशत कर दिया है। पहले इसके 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
उद्योग मंडल एसोचैम ने निवेश और उपभोग मांग बढ़ाने के लिये बुधवार को सरकार से सभी स्तरों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें छह महीने के लिए 25 प्रतिशत तक घटाने का सुझाव दिया है।
आगामी आम बजट 2020-2021 से ठीक पहले शनिवार को नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने स्कूल शिक्षा बजट और राजकोषीय घाटे को लेकर बड़ी चिंता व्यक्त करते हुए बड़ा बयान दिया है।
रिजर्व बैंक ने सरकार के कर और गैर-कर राजस्व में आ रही कमी को समग्र राजकोषीय लक्ष्यों के लिए जोखिम बताते हुए शुक्रवार को कहा कि निजी उपभोग और निवेश में नरमी चुनौती बन सकती है।
राजकोषीय घाटा के मोर्चे को लेकर भी मोदी सरकार के लिए बुरी खबर है। 2018-19 के पहले 7 महीनों यानी अप्रैल से अक्टूबर के बीच ही राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के लक्ष्य से ज्यादा हो गया है।
जोखिम से बचाव समेत विभिन्न मुद्दों पर परामर्श देने वाली कंपनी फिच सॉल्यूशंस ने भारत के राजकोषीय घाटे को लेकर अपने अनुमान को बुधवार को बढ़ा दिया।
आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन सितंबर में 5.2 प्रतिशत घट गया है। बुनियादी क्षेत्र के आठ उद्योगों में से सात के उत्पादन में सितंबर में गिरावट आई है।
केंद्र सरकार राजकोषीय घाटा के लक्ष्य को पाने के लिए इस वित्त वर्ष के अंत तक रिजर्व बैंक से करीब 30 हजार करोड़ रुपए के अंतरिम लाभांश की मांग कर सकती है। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि कॉरपोरेट कर की दर घटाने के बाद राजकोषीय घाटा लक्ष्य में संशोधन या खर्च में किसी प्रकार की कटौती करने की सरकार की कोई योजना नहीं है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का कहना है कि भारत को 2025 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ खासतौर से जमीनी स्तर पर लोगों को सेहतमंद बनाने की आवश्यकता है।
लेखा महा नियंत्रक (सीजीए) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई के आखिर में राजकोषीय घाटा यानी व्यय एवं राजस्व का अंतर की यदि पूरे आंकड़े की बात करें तो यह 5,47,605 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्तवर्ष 2019-20 के शुरुआती दो महीनों में पूरे साल के बजटीय अनुमान का 52 फीसदी तक पहुंच गया। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, राजकोषीय घाटा 3,66,157 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गठित नई सरकार के लिये मौजूदा कठिन आर्थिक परिस्थितियों में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने योग्य दायरे में रखकर बजट तैयार करने की बड़ी चुनौती होगी।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समीक्षा, वृहद आर्थिक आंकड़ों और वैश्विक संकेतों से इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय होगी।
देश में आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए सार्वजनिक व्यय में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए आगामी बजट में राजकोषीय घाटा लक्ष्य में संशोधन करते हुए इसे 3.4 फीसदी से बढ़ाया जा सकता है।
बजट में 2019-20 के लिए 7.10 लाख करोड़ रुपए के सकल कर्ज का लक्ष्य तय किया गया था। चालू वित्त वर्ष के लिए सकल कर्ज का अनुमान 5.71 लाख करोड़ रुपए है।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा लक्ष्य से थोड़ा अधिक यानी 3.4 प्रतिशत रहेगा।
सरकार एक बार फिर राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पायेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य के मुकाबले 0.4 प्रतिशत अधिक रहने की आशंका है।
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