रेटिंग एजेंसी ने कहा कि भले ही सरकारी पूंजीगत व्यय घटा है, लेकिन चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के मुकाबले पूंजीगत व्यय 3.21 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो दो दशक का उच्चतम स्तर है।
वित्त वर्ष 2024-25 की अप्रैल-सितंबर छमाही में केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के लिए नेट टैक्स रेवेन्यू 12.65 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 49 प्रतिशत था। सितंबर, 2023 के अंत में नेट टैक्स रेवेन्यू कलेक्शन 49.8 प्रतिशत था।
वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.6 प्रतिशत था। कुल मिलाकर, सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को 16,13,312 करोड़ रुपये तक सीमित रखना है।
राजस्व बजट में सरकार की राजस्व प्राप्तियां और उसका व्यय शामिल होता है। राजस्व प्राप्तियों को कर और गैर-कर राजस्व में विभाजित किया जाता है। सामान्य मूल्य स्तर में लगातार बढ़ोतरी मुद्रास्फीति है।
Budget 2024: राजकोषीय घाटा हर बजट का एक महत्वपूर्ण भाग होता है। हर बजट में सरकार की ओर से इसका एक टारगेट सेट किया जाता है।
कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स की ओर से वित्त वर्ष 2023-24 के अप्रैल-सितंबर के राजकोषीय घाटे के आंकड़े को जारी कर दिया गया है। राजकोषीय घाटा सरकार के पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य का 39.3 प्रतिशत रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश आम बजट में 2023-24 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.9 प्रतिशत पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है।
2020-21 के लिए केंद्र सरकार के लेखा महानियंत्रक (CGA) ने राजस्व-व्यय के आंकड़ों को पेश यह जानकारी दी।
महालेख नियंत्रक (सीजीए) द्वारी जारी आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा इस साल जून महीने के अंत में 2.74 लाख करोड़ रुपए रहा। यह पूरे साल के लिए बजट में अनुमानित घाटे का 18.2 प्रतिशत है।
राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान के निदेशक पिनाकी चक्रवर्ती ने कहा कि अगर तीसरी लहर का बड़ा असर नहीं होता तो अर्थव्यवस्था में रिकवरी तेज हो सकती है।
सीजीए के आंकड़े के मुताबिक केंद्र को मई, 2021 में कुल 3,54,787 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल हुआ जो 2021-22 के बजट अनुमानों का 17.95 प्रतिशत है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को छोटे कारोबार क्षेत्रों को 1.5 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण उपलब्ध कराने की घोषणा की है।
संशोधित अनुमान में चालू वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.5 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी है। सरकार के व्यय और आय के अंतर को दर्शानेवाले राजकोषीय घाटा के अगले वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी का 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है।
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा दिसंबर 2020 के अंत में 11.58 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। यह बजट अनुमान का 145.5 प्रतिशत है।
चालू वित्त वर्ष 2020- 21 की अप्रैल से सितंबर अवधि के दौरान केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा 9,13,993 करोड़ रुपये रहा है। और यह बजट अनुमान के 114.8 प्रतिशत तक पहुंच गया। बजट में 2020-21 में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।
कोरोना संकट की वजह से आय घटने और खर्च बढ़ने से राजकोषीय घाटे में उछाल देखने को मिला है। 2020- 21 के बजट में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
चालू वित्त वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 5.3 प्रतिशत की गिरावट की आशंका
कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया है।
कोरोना संकट से आय पर असर और राहत पैकेज की वजह से बढ़ सकता है घाटा
राजकोषीय घाटा सरकार के आय और व्यय के अंतर को बताता है। इसका मतलब है कि सरकार के पास जो साधन हैं, वह उससे अधिक खर्च कर रही है।
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