संसदीय मामलों की मंत्रिमंडल समिति की सिफारिश के मुताबिक बजट सत्र 29 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगा। जबकि सत्र का दूसरा हिस्सा 8 मार्च से 8 अप्रैल तक जारी रहेगा।
मौजूदा बाजार मूल्य पर 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री से सरकारी खजाने को लगभग एक हजार करोड़ रुपये मिल सकते हैं। बीईएमएल के शेयर शुक्रवार को 974.25 रुपये पर बंद हुए। बीईएमएल रक्षा, रेल, बिजली, खनन और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में काम करती है।
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट-पूर्व बैठकों का आयोजन 14 दिसंबर से 23 दिसंबर के दौरान किया। यह पहला मौका है जबकि कोविड-19 संकट की वजह से बजट-पूर्व बैठकों का आयोजन वर्चुअल तरीके से हुआ है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने जीएसटी नियमों में नियम 86 बी पेश किया है। यह नियम इनपुट कर क्रेडिट (आईटीसी) का अधिकतम 99 प्रतिशत तक ही इस्तेमाल जीएसटी देनदारी निपटाने की अनुमति देता है।
कोविड-19 के संकट को देखते हुए मई में केद्र सरकार ने राज्यों की कर्ज की सीमा विभिन्न सुधारवादी शर्तों के साथ कुल मिला कर 2 प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा की। इन शर्तां में एक-देश-एक-राशनकार्ड , कारोबार सुगमता, नगर निकाय/सार्वजनिक सेवाओं में सुधार और बिजली क्षेत्र में सुधार शामिल हैं।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 2.01 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। हालांकि कोविड-19 महामारी का विनिवेश कार्यक्रम पर असर पड़ा है। इस वित्त वर्ष में सरकार अब तक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में छोटी हिस्सेदारी बेचकर सिर्फ 11,006 करोड़ रुपये ही जुटा पाई है।
कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक सहित बायोकॉन की किरण मजूमदार शॉ आदि बड़े उद्योगपतियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित बैठक में भाग लिया। वित्तमंत्री के साथ, वित्त सचिव ए.बी. पांडे, सचिव डीईए, तरुण बजाज, मुख्य आर्थिक सलाहकार के. सुब्रमण्यन आदि वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
सूत्र ने कहा कि इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय की मंजूरी कुछ दिन में मिलने की उम्मीद है। ऐसे में अंशधारकों के खातों में ब्याज इसी महीने डाला जाएगा।
बैंकों ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) के तहत 80,93,491 कर्जदारों को 2,05,563 करोड़ रुपये की अतिरिक्त ऋण राशि मंजूर की है। जबकि 1,58,626 करोड़ रुपये 40,49,489 कर्जदारों को दिए जा चुके हैं।
वित्त मंत्रालय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में शेष 14,500 करोड़ रुपये की पूंजी डालने के बारे में चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में फैसला करेगा।
एमएसएमई मंत्रालय ने बयान में कहा कि सबसे अधिक 5,100 करोड़ रुपये की खरीद अक्टूबर में हुई और इस दौरान 4,100 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया।
23 नवंबर तक कुल 24,227 करोड़ रुपये (39.4 प्रतिशत) का लक्ष्य हासिल किया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए इन उपक्रमों के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 61,483 करोड़ रुपये है।
योजना के तहत लाभ पाने के लिए बिल या वाउचर 31 मार्च 2021 को या उससे पहले जमा करना होगा।
विश्व बैंक की कारोबार सुगमता 2020 रिपोर्ट में छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा के मामले में भारत पिछले साल के सातवें स्थान से फिसलकर 13वें स्थान पर आ गया है। हालांकि कारोबार सुगमता को लेकर भारत की रैकिंग पूर्ववत रही है
उत्तर प्रदेश में 10 देशों की कंपनियों ने 45 हजार करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव दिए हैं। इन देशों में जापान, जर्मनी और अमेरिका शामिल हैं। वहीं एप्पल के सप्लायर ने भारत में 15 करोड़ डॉलर के निवेश को मंजूरी दे दी है।
कंपनियों के कारोबार की गति का संकेत देने वाला कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्टूबर में बढ़कर 58.9 रहा, जो इससे पिछले महीने में 54.6 था। वहीं अक्टूबर के दौरान ऊर्जा खपत में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 10 प्रतिशत बढ़कर 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। दैनिक रेलवे माल ढुलाई में औसतन 20 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। और बैंक ऋण में भी 5.1 प्रतिशत का सुधार हुआ है।
वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधी संगठन में पंजीकृत संस्थाओं को ही इसका लाभ मिलेगा, जो संस्थाएं अभी तक पंजीकृत नहीं हैं उन्हें लाभ लेने के लिए पंजीकरण कराना होगा। यह योजना 30 जून 2021 तक लागू रहेगी।
आयोग की सेवा शर्तों के अनुसार आयोग को 2021- 22 से लेकर 2025- 26 की पांच साल की अवधि के लिये अपनी सिफारिशें सौंपने को कहा गया था। आयोग को विभिन्न मुद्दों जैसे, केन्द्र और राज्यों के बीच कर विभाजन, स्थानीय सरकारों को दिया जाने वाला अनुदान, आपदा प्रबंधन अनुदान, सहित अन्य कई मुद्दों पर सिफारिशें देने को कहा गया था।
योजना की अवधि को 30 नवंबर तक के लिये अथवा तब तक के लिये बढ़ा दिया गया है जब तक कि योजना के तहत तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी नहीं दे दी जाती है। इसमें जो भी पहले होगा उस समय तक ही योजना लागू रहेगी।
आयोग को 2021-26 के लिये अपनी रिपोर्ट 30 अक्टूबर, 2020 तक सरकार को सौंपनी है। रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने बुधवार को पूर्व वित्त आयोग के प्रमुखों के साथ बैठक की।
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