पिछले 10 वित्तीय वर्षों में, एफडीआई प्रवाह में 119 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो पिछले 10 वर्षों (2005-14) में 304 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 667 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है।
आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में महाराष्ट्र को सबसे अधिक 15.1 अरब डॉलर का एफडीआई आया। यह आंकड़ा 2022-23 में 14.8 अरब डॉलर था। इसके बाद गुजरात को 7.3 अरब डॉलर का निवेश मिला जो 2022-23 में 4.7 अरब डॉलर था।
आरबीआई द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार पांचवें सप्ताह बढ़कर 15 दिसंबर तक 20 महीने के उच्चतम स्तर 615.97 बिलियन डॉलर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि से आरबीआई को रुपए को स्थिर करने में मदद मिलती है।
कोविड-19 महामारी के बाद घरेलू कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण को रोकने के लिए ऐसा किया गया। इस फैसले के अनुसार किसी भी क्षेत्र में निवेश के लिए पड़ोसी देशों से आने वाले एफडीआई प्रस्तावों पर पहले सरकार की मंजूरी लेनी जरूरी है।
सर्वेक्षण के अनुसार ज्यादातर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले तीन-पांच वर्षों में काफी बेहतर प्रदर्शन करेगी।
अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान देश में कुल 67.54 अरब डॉलर के बराबर एफडीआई आया है। मंत्रालय के मुताबिक किसी भी वित्तीय वर्ष के पहले 9 महीनों के दौरान दर्ज किया गया य़े अब तक का सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रहा है।
सरकार विदेशी निवेश आकर्षित करने के इरादे से अनुबंध आधार पर विनिर्माण में 100 प्रतिशत एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की मंजूरी देने के प्रस्ताव पर काम कर रही है, सूत्रों ने यह जानकारी दी। मौजूदा विदेश निवेश नीति के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में स्वत: मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है।
अमेरिका में ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किए गए टैक्स सुधारों के चलते वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 41 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार मॉरीशस, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन का स्थान है।
नकदी और ATM प्रबंधन कंपनियों को जल्द 100% FDI की अनुमति मिलेगी क्योंकि उन्होंने निजी सुरक्षा एजेंसियां नियमन कानून PSARA अनुपालन करने की जरूरत नहीं होगी।
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