आपको बता दें कि फ्लोटिंग रेट एफडी के लिए रिटर्न भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की रेपो दर या ट्रेजरी बिल पर आधारित होता है। यानी रेपो रेट में बदलाव होने पर फ्लोटिंग रेट के एफडी पर ब्याज दर में बदलाव हो जाता है।
FD के बारे में लोगों के मन में जो सबसे पहला ख्याल आता है वो ये है कि अगर तय समय से पहले FD तोड़ते हैं तो बैंक के तरफ से सिर्फ जमाकर्ता की मुलधन वापस की जाती है, लेकिन अब ये बदल गया है। ये बैंक ब्याज भी दे रहा है।
अगर आप Fixed Deposits और Debt Mutual Funds में से किसी एक में निवेश करने की सोच रहे हैं तो ये खबर आपके लिए है। अगर आप असमंजस की स्थिति में हैं कि किसमें पैसा लगाने से मोटा मुनाफा होगा तो आप इसमें हमारे द्वारा बताए गए पांच बातों पर नजर डाल सकते हैं।
भारत में बढ़ती महंगाई के बीच बैंको के तरफ से FD पर दिए जाने वाले इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी की जा रही है। RBI के तरफ से रेपो रेट दर में वृद्धि करने का फैसला इसके पीछे की वजह बना है।
जब से आरबीआई (RBI) ने रेपो रेट (Repo Rate) में बढ़ोतरी की है FD पर इंटरेस्ट रेट बढ़ता जा रहा है। कई बैंक अब आम नागरिक से लेकर सीनियर सिटीजन को अधिक ब्याज दर ऑफर कर रहे हैं। कुछ बैंक जो 8% से 8.75% से अधिक की ब्याज दर भी दे रहे हैं।
Fixed Deposit: देश में महंगाई चरम पर है। ऐसे में हर कोई वित्तीय आजादी को लेकर असमंजस की स्थिति में है। आज हम आपको FD में निवेश करने के बारे में बताएंगे, जिसमें अधिकतर भारतीय पैसा लगा रहे हैं।
देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने विभिन्न मैच्योरिटी वाले टर्म डिपॉजिट की जमा दरों में आधी फीसदी (50 bps) तक की कटौती की है।
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