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CLSA ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों के लिए मौजूदा लेवल से 30 प्रतिशत के अपसाइड के साथ 1650 रुपये का टारगेट दिया है। बताते चलें कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों का मौजूदा भाव 1267.70 रुपये है। कंपनी के शेयर गुरुवार को 15.45 रुपये (1.23%) की अच्छी बढ़त के साथ 1267.70 रुपये के भाव पर बंद हुए थे।
मांग में वृद्धि तथा बाजार में उपलब्ध अभूतपूर्व छूट से यात्री वाहनों की बिक्री में सुस्ती के बाद तेजी लौटी है। इस वर्ष 42 दिन की अवधि में दोपहिया वाहनों का पंजीकरण पिछले वर्ष की तुलना में 14 प्रतिशत बढ़कर 33,11,325 इकाई हो गया।
मर्सिडीज-बेंज इंडिया के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर संतोष अय्यर ने कहा, ‘‘पिछली तीन तिमाहियों से, हम अपनी लागत संरचना पर बढ़ते दबाव का सामना कर रहे हैं। ऐसा मुख्य रूप से कच्चे माल की बढ़ती लागत, कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव, लॉजिस्टिक खर्चों में बढ़ोतरी और महंगाई की वजह से हो रहा है।’’
Real Estate News : ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में इंफ्रास्ट्रक्चर में इतना बदलाव आया है, जो पिछले दशकों में कभी नहीं देखा गया। नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, द्वारका एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, रैपिड रेल, मेट्रो विस्तार इसके बेहतरीन उदाहरण हैं।
Mutual funds SIP : जब निवेशक बाजार गिरने के दौरान म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदते हैं, तो उनकी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की औसत कीमत कम हो जाती है, जिससे तेजी के दौरान अधिक लाभ कमाने की संभावना बढ़ जाती है।
दूसरी तिमाही में कंपनी के रेवेन्यू में मामूली गिरावट देखने को मिली। चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनी ने 7345.96 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जनरेट किया, जो पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 7373.49 करोड़ रुपये था।
देश में बिजली की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता में रिन्युएबल ऊर्जा की हिस्सेदारी 46 प्रतिशत पर पहुंच गई है। देश की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 452.69 गीगावॉट तक पहुंच गई है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 46.3 प्रतिशत से अधिक है।
भारत के बारे में, मूडीज ने कहा कि घरेलू खपत में सुधार, मजबूत निवेश और मजबूत विनिर्माण गतिविधि के कारण 2024 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में साल-दर-साल 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
श्रम मंत्रालय के गिग वर्कर्स के लिए प्रस्तावित सामाजिक सुरक्षा ढांचे पर सिंह ने कहा कि उबर हमेशा से सामाजिक सुरक्षा संहिता जैसे कानून की वकालत करने में सबसे आगे रही है।
रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास युद्ध के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। इसके चलते कई देशों में जीडीपी की रफ्तार धीमी हो गई है।
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