विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार इंजेक्शन के निर्यात को तुरंत प्रभाव से प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है।
यह एक ट्रायल कंसाइनमेंट है और अगर इन उत्पादों को विदेशों में अच्छा बाजार मिलता है, तो आगे इस तरह के निर्यात के होने की और भी उम्मीद है।
पिछले साल 2020 में एक से सात मई के दौरान 3.1 अरब डॉलर का निर्यात किया गया जबकि 2019 की इसी अवधि में 6.8 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के व्यापार में होने वाली वृद्धि खासतौर से पिछले साल के मुकाबले जब वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं कोरोना वायरस संक्रमण से मुकाबला करते हुए बंद पड़ी थी, नाटकीय लगती है।
सरकार के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में भारत का निर्यात बढ़कर 30.21 अरब डॉलर पर पहुंच गया तथा इस दौरान व्यापार घाटा भी बढ़कर 15.24 अरब डॉलर हो गया।
हेल्प डेस्क आयात और निर्यात लाइसेंस, सीमा शुल्क मंजूरी में देरी, आयात/निर्यात दस्तावेज तथा बैंक से जुड़े मामलों को देखेगा, और उनके समाधान सुझाएगा
निर्यात में महत्वपूर्ण सकारात्मक वृद्धि दर्शाने वाली वस्तुओं में गेहूं,अन्य अनाज, चावल( गैर बासमती), सोया मील, मसाले,चीनी, कपास, ताजा सब्ज़ियां, प्रसंस्कृत सब्ज़ियां शामिल हैं
दिसंबर 2020 से देश के वस्तु निर्यात में सकारात्मक वृद्धि जारी है। देश का निर्यात इस साल एक से 14 अप्रैल के दौरान बढ़कर 13.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
भारत से औषधियों का निर्यात पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में 24.44 अरब डालर के बराबर रहा जो इससे एक साल पहले के 18 प्रतिशत से भी अधिक है। वर्ष 2019-20 में 20.58 अरब डालर के बराबर था।
पिछले साल अप्रैल में कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के चलते निर्यात में रिकॉर्ड 60 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
देश का निर्यात इस साल मार्च में सालाना आधार पर 60.29 प्रतिशत उछलकर 34.45 अरब डॉलर रहा। हालांकि, वित्त वर्ष 2020-21 में यह एक साल पहले के निर्यात के मुकाबले 7.26 प्रतिशत घटकर 290.63 अरब डॉलर रह गया।
सरकार ने नये आयातकों, निर्यातकों और सीमा शुल्क ब्रोकरों की पहचान के सत्यापन को अनिवार्य किया है।
देश का निर्यात कारोबार मार्च में 58.23 प्रतिशत उछलकर 34 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इंजीनियरिंग, रत्न एवं आभूषण तथा औषधि जैसे प्रमुख क्षेत्रों में माह के दौरान अच्छी वृद्धि दर्ज की गयी जिससे निर्यात बढ़ा।
भारत ने चालू कॉटन सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) के आरंभिक छह महीने में 42 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कॉटन का निर्यात कर लिया है और 30 सितंबर तक निर्यात 60 लाख गांठ तक होने की उम्मीद की जा रही है।
भारत से यूरोप के मालभाड़े यानी पोत परिवहन की लागत में कोरोना काल में करीब 80 फीसदी का इजाफा हुआ है। जानकारों के मुताबिक अगर मालभाड़ा में बढ़ोतरी नहीं हुई होती तो फरवरी में देश के निर्यात में और पांच से सात फीसदी की वृद्धि होती, जो कि 1 प्रतिशत से कम रही है।
देश का वाणिज्यक निर्यात लगातार तीसरे महीने वृद्धि दर्ज करते हुए फरवरी में सालाना आधार पर 0.67 प्रतिशत बढ़कर 27.93 अरब डॉलर रहा। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार फरवरी में आयात 6.96 प्रतिशत बढ़कर 40.54 अरब डॉलर पहुंच गया।
बैंक के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान सकल निर्यात 279.4 अरब डॉलर तक रह सकता है। यह पिछले साल के मुकाबले 10.8 प्रतिशत कम होगा। इसमें गैर- तेल उत्पादों का निर्यात 256.8 अरब डॉलर रह सकता है।
उद्योग संगठनों से मिली जानकारी के अनुसार, 39 लाख टन निर्यात के जो सौदे हुए हैं उसमें से 18.5 लाख टन चीनी मिलों के गोदामों से उठ चुकी है और 12.5 लाख टन देश के बाहर भी जा चुकी है। भारत ने इंडोनेशिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान, न्यूजीलैंड, यूएई के अलावा अफ्रीका के कई देशों को चीनी निर्यात किया है।
फरवरी के दौरान तेल का आयात 16.63 प्रतिशत की गिरावट के साथ 8.99 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया। वहीं वित्त वर्ष के 11 महीनों के दौरान तेल का आयात 40.18 प्रतिशत की गिरावट के साथ 72.08 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है।
देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने शनिवार को कहा कि उसने संचयी रूप से 20 लाख कारों के निर्यात का लक्ष्य पार कर लिया है।
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