पिछले पांच सालों में, भारतीय बाजारों ने लगातार लगभग 15 प्रतिशत चक्रवृद्धि सालाना वृद्धि दर दी है, चीनी बाजार कहीं भी इसके करीब नहीं हैं। निवेशकों के पैसे के फ्लो और नए पेपर की सप्लाई के बीच असंतुलन के चलते पिछले पांच सालों में 40 प्रतिशत स्मॉल और मिडकैप शेयरों में 5 गुना बढ़ोतरी हुई है।
AMFI के चीफ एग्जीक्यूटिव वेंकट चलसानी ने कहा कि एसआईपी के जरिए निवेश में हो रही बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि निवेशक अब अनुशासित ढंग से निवेश कर वेल्थ क्रिएशन को तवज्जो दे रहे हैं।
एयरलाइन ने अपनी मौजूदा समस्या के लिए फ्लीट में कमी, विमानों का ग्राउंड होना, वर्किंग कैपिटल की उच्च लागत, बढ़ती हुई निश्चित लागत, एयरपोर्ट पर निश्चित किराया और वैधानिक बकाया जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया।
वोडाफोन आइडिया के शेयर में बीते एक साल में काफी तेजी आई है। यह उछाल 136 प्रतिशत का है। वोडाफोन-आइडिया इस साल अपनी 5G सर्विस लॉन्च कर सकती है।
Investments in India: 21वीं सदी टेक्नोलॉजी की है। अब सिर्फ इतना कहना पूरा सच नहीं रह गया है। 21वीं सदी इंडिया की हो रही है। निवेश के हर पैमाने पर भारत का डंका दुनिया में बज रहा है। इंडिया प्राइवेट इक्विटी रिपोर्ट 2023 जो बातें कही गई है, वह वाकई चौंकाने वाली है।
इक्विटी म्यूचुअल फंड के एसेट अंडर मैनजमेंट सितंबर के अंत तक बढ़कर 12.8 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं। जून के अंत तक यह 11.1 लाख करोड़ रुपये थीं।
शेयर बाजार में मिलने वाले रिटर्न पर नजर डालें तो ऐसी कंपनियों की कोई कमी नहीं है जिसमें निवेशकों की रकम 10 साल में 10 गुना से ज्यादा बढ़ी है।
आर्थिक सलाहकार के मुताबिक प्रोत्साहन के बावजूद, महामारी प्रतिबंधों के हटने के बाद भी बैंक ऋण वृद्धि छह प्रतिशत के निम्न स्तर पर ही है। हालांकि और क्षेत्रों को खोले जाने से वृद्धि को गति मिलेगी।
इक्विटी योजनाओं में जून में शुद्ध रूप से 5,988 करोड़ रुपये, मई में 10,083 करोड़ रुपये, अप्रैल में 3,437 करोड़ रुपये और मार्च में 9,115 करोड़ रुपये का निवेश आया था।
जुलाई अंत तक म्यूचुअल फंड उद्योग के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) 35.32 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गईं, जो जून के अंत तक 33.67 लाख करोड़ रुपये थीं।
बाजार में बढ़त के साथ बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों की पूंजी इस साल 15 जून को अपने उच्चतम स्तर 2,31,58,316.92 करोड़ रुपये पर पहुंच गई थी।
बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने इक्विटी में 24,204 करोड़ रुपये और डेट में 761 करोड़ रुपये निवेश किए। इस तरह एक फरवरी से 19 फरवरी के बीच कुल निवेश 24,965 करोड़ रुपये रहा।
इक्विटी के अलावा गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में से भी नवंबर के दौरान 141 करोड़ रुपये की निकासी की गई।
पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश अक्टूबर में बढ़कर 78,686 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। अगस्त, 2019 के बाद पी-नोट्स के जरिये निवेश का यह सबसे ऊंचा स्तर है। अगस्त 2019 में विदेशी निवेशको के जरिए पी-नोट्स से निवेश का आंकड़ा 79,088 करोड़ रुपये रहा था।
अमेरिकी चुनाव पर चिंता और घरेलू अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच निवेशक लगातार निवेश को भुनाये जा रहे थे। सितंबर तिमाही के दौरान इक्विटी केंद्रित म्यूचुअल फंडों से निवेशकों ने 7,200 करोड़ से अधिक भुनाये।
एफपीआई ने एक से 25 सितंबर के दौरान शेयरों से शुद्ध रूप से 4,016 करोड़ रुपये निकाले। इस दौरान उन्होंने बांड मार्केट में 3,540 करोड़ रुपये का निवेश किया है। । एफपीआई ने जून से अगस्त के बीत लगातार तीन महीने बाजार से निवेश किया है।
आधुनिक प्रौद्योगिकी की वजह से आज मोबाइल एप का इस्तेमाल काफी आसान हो गया है।
कंपनी अभी भी बाजार में 28,000 करोड़ रुपये के साथ शुद्ध निवेशक बनी हुई है। वहीं कंपनी को इस साल अगस्त तक बीमा पॉलिसी के नवीनीकरण प्रीमियम से 87,300 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं।
इस साल अप्रैल से अब तक एफपीआई ने इक्विटी में 80,000 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसमें आधे से ज्यादा निवेश अकेले अगस्त में हुआ है।
जून के महीने में निवेश 4 साल के निचले स्तर पर पहुंचा
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