इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कर्मचारी पेंशन (संशोधन) योजना 2014 को बरकरार रखा था।
मौजूदा दौर में EPFO के नियमों के अनुसार न्यूनतम सैलरी सीमा 15000 रुपए प्रति माह हैं। किसी भी कंपनी में वे कर्मचारी जो 15000 रुपये से अधिक वेतन पाते हैं, उनका अनिवार्य रूप से EPFO काटे जाने का प्रावधान है।
दुनिया में एक तरफ तेजी से कंपनियां छंटनी कर रही हैं तो वहीं भारत में नौकरी के अवसर मिल रहे हैं। भारतीय कंपनियां खुब हायरिंग कर रही हैं। इसका अंदाजा सितंबर महीने की रिपोर्ट को देखकर लगाया जा सकता है।
जो लोग ईपीएफ से अलग एक सुरक्षित निवेश करना चाहते हैं वे पब्लिक प्रोविडेंट फंड का सहारा लेते हैं। इसके लिए उन्हें बैंक या पोस्ट आफिस में या बैंक में पीपीएफ खाता खुलवाकर निवेश करना होता है।
अगर आप ईपीएफ अंशधारक हैं तो इस बीमा के लिए आपको कोई प्रीमियम नहीं देना होता है। बीमा प्रीमियक की रकम आपके नियोक्ता की ओर से की जाती है।
पीएफ अकाउंट (PF Account) में हर सैलरीड व्यक्ति के सैलरी (Salary) का एक हिस्सा जमा हो रहा होता है, जिसे आप रिटायरमेंट के बाद निकाल सकते हैं। इमरजेंसी की स्थिति में यह पहले भी पैसा निकालने की सुविधा देता है।
देश में तेजी से रोजगार (Job) के अवसर बढ़ रहे हैं। सरकारी से लेकर प्राइवेट सेक्टर (Private Sector) में लोगों को उनके स्किल (Skill) के आधार पर नौकरी दी जा रही है। हाल ही में जारी किए गए एक रिपोर्ट से पता चला है कि जून महीने में 18 लाख से अधिक लोगों को नौकरी मिली है।
EPFO Rule: अगर आप किसी संस्थान में नौकरी करते हैं तो आपको पीएफ खाता(PF Account) के बारे में पता होगा। वो संस्थान प्राइवेट(Private) और सरकारी(Government) दोनों तरह के हो सकते हैं। इस खाते में हर सैलरीड व्यक्ति के सैलरी (Salary) का एक हिस्सा जमा हो रहा होता है।
EPFO योगदान से करोड़पति बनने में आपके सबसे काम आता है कंपाउंडिंग का जादू। आप जितना जल्दी पीएफ खाते में योगदान शुरू करते हैं आपको उतना ही लाभ मिलता है।
आप अपने पीएफ खाता में जमा रकम को उमंग ऐप, ईपीएफओ पोर्टल, एसएमएस या मिस्ड कॉल देकर चेक कर सकते हैं।
ईपीएफ की यह दर 1977-78 के बाद से सबसे कम है, उस वक्त ब्याज की दर 8 प्रतिशत थी। 2020-21 में ईपीएफओ ने 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया था।
आठ साल पहले तय की गई 1,000 रुपये की मासिक पेंशन अब काफी कम है।
पीएफ खातों पर ब्याज ले रहे ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स को अब कम ब्याज मिलेगा और ये उनके घर आने वाली कमाई को कम करेगा। EPFO ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ब्याज दरों को 8.5 फीसदी से घटाकर 8.1 फीसदी कर दिया है।
ट्रस्टी की इस बैठक में ब्याज दर पर जो फैसला लिया जाएगा उसे मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाता है।
वर्तमान में संगठित क्षेत्र के वे कर्मचारी जिनका मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) 15,000 रुपये तक है, अनिवार्य रूप से ईपीएस-95 के तहत आते हैं। एक सूत्र ने कहा, ईपीएफओ के सदस्यों के बीच ऊंचे योगदान पर अधिक पेंशन की मांग की गई है।
क्या ईपीएफओ 2021-22 के लिए भी 2020-21 की तरह 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर को कायम रखेगा, यादव ने कहा कि यह फैसला अगले वित्त वर्ष के लिए आमदनी के अनुमान के आधार पर किया जाएगा।
अगर आपका भी EPF कटता है तो अपने खाते में जमा पैसों की जानकारी आप सेकेंडों में पा सकते हैं।
सरकार ने अल्टरेनिटिव इनवेस्टमेंट फंड्स में निवेश को इसी साल मंजूरी दी है। फैसले के नोटिफिकेशन के बाद बोर्ड की ये पहली बैठक है।
इस डेथ रिलीफ फंड के तहत 2006 में सिर्फ 50000 रुपये ही आश्रित को दिए जाते थे। इसके बाद इसे 50 हजार से 4.20 लाख रुपये तक किया गया।
ईपीएफ ब्याज दर हर महीने उनकी सैलरी से होने वाली अनिवार्य कटौती पर एक रिटर्न है और इसका भुगतान दिवाली से पहले होने पर जरूर उन्हें खुशी मिलेगी।
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