टैक्स सेविंग एफडी और ईएलएसएस के बीच चयन करना निवेशक की जोखिम और वित्तीय लक्ष्यों पर निर्भर करता है। ईएलएसएस उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो टैक्स छूट चाहते हैं और उच्च रिटर्न के लिए बाजार जोखिम स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।
ELSS का पूरा नाम Equity-Linked Savings Scheme है। ईएलएसएस के नाम से ही मालूम चल जाता है कि ये एक इक्विटी लिंक्ड बचत स्कीम है। ईएलएसएस म्यूचुअल फंड्स में किए जाने वाले निवेश पर जो रिटर्न मिलता है, उस पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ उठाया जा सकता है।
म्यूचुअल फंड हाउस, ईएलएसएस फंड्स में किए जाने वाले निवेश का 80 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी में निवेश करते हैं। ईएलएसएस फंड्स में लगाया जाने वाला पैसा अलग-अलग सेक्टरों से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है, ताकि जोखिम को कम किया जा सके।
ELSS Mutual Funds Returns: कई ईएलएसएस म्यूचुअल फंड्स की ओर से बीते 5 वर्षों में अच्छा रिटर्न दिया है, जिनके बारे में हम इस आर्टिकल में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
क्वांट ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड द्वारा 29.98 प्रतिशत का उच्चतम रिटर्न दिया। इसका मतलब है कि अगर किसी ने इस स्कीम में 1 लाख रुपये का निवेश किया होता तो वह बढ़कर 3.71 लाख रुपये हो जाता।
जब पीपीएफ या ईएलएसएस दोनों ही निवेश विकल्पों में फायदे और नुकसान हैं, इसलिए आप वह विकल्प चुन सकते हैं जो आपके वित्तीय लक्ष्यों के अनुकूल हो। अपनी वित्तीय ज़रूरतों का मूल्यांकन करें और उसके अनुसार सोच-समझकर निर्णय लें।
ईएलएसएस फंड आपको एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स बचाने में मदद करता है। लॉन्ग टर्म के लिए यह एक उम्दा निवेश माध्यम है।
कुछ निवेश विकल्प ऐसे हैं जो आपको टैक्स फ्री रिटर्न भी देते हैं और इनकम टैक्स छूट भी दिलाते हैं। ऐसे निवेश विकल्पों में पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना और इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम आदि शामिल हैं।
आमतौर पर निवेश के बारे में हम सब सोचते रहते हैं, लेकिन हम इस वजह से रुक जाते हैं कि बेहतर निवेश कर सकें। वहीं अगर आप एक जगह निवेश करके दो तरह के फायदे लेना चाहते हैं तो आपको ELSS यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम के बारे में जरूर जान लेना चाहिये।
ईएलएसएस, पीपीएफ और यूलिप तीनों निवेश विकल्प में आयकर की धारा 80 सी के तहत निवेशकों को अच्छा रिटर्न देने के साथ-साथ सालाना 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स छूट लाभ मिलता है।
ईएलएसएस में ग्रोथ ऑप्शन निवेशकों के लिए सही रहता है। इस स्कीम में डिविडेंड रीइन्वेस्टमेंट का विकल्प नहीं मिलता है।
क्लीयर टैक्स के संस्थापक और सीईओ अर्चित गुप्ता यहां ऐसे पांच कारण बता रहे हैं कि आपको टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (ईएलएसएस) में निवेश करने पर विचार क्यों करना चाहिए।
सही ईएलएसएस का चयन करना महत्वपूर्ण है और इसके लिए सही रास्ता यह है कि आपको एक वित्तीय सलाहकार की मदद लेनी चाहिए।
सार्वजनिक क्षेत्र की एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) ने उजाला (उन्नत ज्योति बाई एफोर्डेबल एलईडी बल्ब फॉर ऑल) कार्यक्रम के तहत 30 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब वितरित किए हैं।
31 मार्च यानि कि मौजूदा वित्त वर्ष का अंत करीब आने वाला है। इस समय ज्यादातर वेतन भोगी टैक्स सेविंग के लिए निवेश की जल्दबाजी में होंगे। अक्सर लोग जीवन बीमा या फिर बैंक एफडी जैसे पुराने टैक्स सेविंग विकल्पों में निवेश करते हैं जो कि मौजूदा जरूरत
आज हम आपको बताएंगे कि ELSS की श्रेणी में वे कौन से पांच टैक्स सेविंग फंड हैं जिन्होंने 3 और पांच साल में अपनी ही श्रेणी के अन्य फंडों के तुलना में सबसे अधिक रिटर्न दिया है।
धारा 80C के तहत आप टैक्स सेविंग के लिए अधिकतम डेढ़ लाख रुपए का निवेश कर सकते हैं। वैसे तो धारा 80C के तहत बचत और निवेश के विकल्पों की भरमार है लेकिन ELSS कई मायनों में अन्य विकल्पों से बेहतर है।
प्रमुख घरेलू ऑटो कंपनी टाटा मोटर्स ने अपनी कॉम्पैक्ट सेडान टिगोर के इलेक्ट्रिक संस्करण की पहली खेप बुधवार को गुजरात के साणंद स्थित फैक्टरी से रवाना की।
वित्त मंत्रालय ने ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की सभी इमारतों में ऊर्जा दक्ष उपकरण लगाने को अनिवार्य बना दिया है।
आप म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं तो यह खबर आपको मुश्किल में डाल सकती है। सरकार अगल वित्त वर्ष से डिविडेंड पर 10 फीसदी टैक्स लगाने की तैयार कर रही है।
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