ईवी के लिए विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन के रूप में कम कस्टम ड्यूटी पर कारों के सीमित आयात की अनुमति दी जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया कि कम परिचालन लागत और कम शुरुआती अधिग्रहण लागत के चलते ई-बसों के प्रति रुझान बढ़ रहा है। एजेंसी के एक निदेशक सुशांत सरोदे ने कहा कि ई-बसों में वृद्धि इसलिए भी हो रही है क्योंकि 15 वर्षों के अनुमानित जीवन काल में पेट्रोल/डीजल या सीएनजी बसों की तुलना में इनकी स्वामित्व लागत 15-20 प्रतिशत कम है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा का कहना है कि इलेक्ट्रि्क बसों की डिमांड लगातार बनी रहेंगी। उम्मीद है कि इलेक्ट्रिक बसें भारत के इलेक्ट्रिफिकेशन अभियान में सबसे आगे रहेंगी।
दिल्ली की सड़क पर अब इलेक्ट्रिक बस दौड़ने वाली है। टाटा मोटर्स को ये प्रोजेक्ट मिला है जिसमें 1500 ई-बसेस का ऑर्डर अप्रूव किया गया है। कार्बन और पॉल्यूशन को कम करने के लिए ये फैसला लिया गया है।
गडकरी ने लोगों को सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
देश में बढ़ते प्रदुषण (Pollution) के चलते स्थिति भयावह होती जा रही है। केंद्र से लेकर राज्य की सरकारें कई तरह की नीतियां बना रही हैं ताकि प्रदुषण पर काबू पाया जा सके। गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी इसका एक बड़ा कारण हैं।
गडकरी ने बताया कि केंद्र सरकार पूरे देश में 50,000 बिजली चालित बसें चलाने की योजना पर आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा, हमें देश के परिवहन तंत्र को दूरदर्शी सोच के साथ बदलने की जरूरत है।
मंत्री ने कहा कि उनके मंत्रालय के पास काफी बजट है और बाजार भी इसे समर्थन देने के लिए तैयार है।
कंपनी के बयान के अनुसार इसके लिए उसने राज्यों के परिवहन विभागों से इलेक्ट्रिक बसों की मांग आमंत्रित की है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हालांकि इस योजना को जमीनी स्तर पर लागू करने में महामारी के कारण कुछ देरी हुई है, जिसके चलते कुछ चुनौतियां भी हैं।
टाटा मोटर्स ने बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) को शनिवार को 35 इलेक्ट्रिक एसी बसों की आपूर्ति की। कंपनी को बेस्ट से कुल 340 स्टारबस ई-बसों का ऑर्डर मिला है।
सरकार की योजना लखनऊ सहित प्रदेश के 14 अन्य प्रमुख शहरों में 700 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की है। इसके लिए नगरीय परिवहन निदेशालय के अधिकारियों की ओर से काम को तेज गति से पूरा किया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने देश के 64 शहरों के लिये 5,595 इलेक्ट्रिक बसों की मंजूरी दे दी है। इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से बढ़ावा देने की फेम योजना के दूसरे चरण के तहत लायी जा रही इन बसों को शहरों के भीतर और शहरों के बीच चलाया जाएगा। आप भी जानिए पूरी लिस्ट किन शहरों में कितनी चलेंगी इलेक्ट्रिक बसें।
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने सोमवार को कहा कि अंतर-मंत्रालयी समिति ने 65 शहरों में परिचालन के लिये 5,645 इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी है।
विद्युत बसें बनाने वाली कंपनी गोल्डस्टोन इन्फ्राटेक ने कहा है कि उसकी अगले पांच साल में भारत में 10,000 नौकरियां देने की योजना है। कंपनी ने कहा कि वह भारत में जल्द ही एक साझा कंपनी बनाएगी जो शोध एवं विकास के काम तथा मरम्मत सेवाओं के लिए होगी।
सरकार पांच साल की योजना एफएएमई इंडिया (FAME India) के दूसरे चरण के लिए 8,730 करोड़ रुपए की वित्तीय समर्थन दे सकती है।
सरकार कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पॉलिसी लाने जा रही है। इसके तहत कॉमर्शियल टैक्सी, ऑटो-रिक्शा और इलेक्ट्रिक बसों के लिए परमिट की जरुरत नहीं होगी।
नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार 2 लाख इलेक्ट्रिक बस की खरीद के लिए कम ब्याज पर वित्त पोषण को लेकर जापान की निवेश कंपनी सॉफ्टबैंक से बातचीत कर रही है।
टाटा मोटर्स ने शिमला में अपनी इलेक्ट्रिक बसों के पहले बैच का वाणिज्यिक प्रायोगिक परीक्षण शुरू किया है। बस ने 160 किलोमीटर की दूरी तय की।
हिंदुजा ग्रुप की प्रमुख कंपनी अशोक लीलैंड ने अपनी पहली ‘मेड इन इंडिया’ इलेक्ट्रिक बस सर्किट पेश की। इस बस की क्षमता 35 से लेकर 65 यात्रियों तक की है।
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