आयातित खाद्यतेलों के सस्ते थोक दाम के आगे घरेलू तेल-तिलहन उद्योग और तिलहन किसानों को गभीर नुकसान हो रहा है।
Edible Oil Price : ब्रांडेड खाद्यतेल बनाने वाली कंपनियों के पास सरसों का स्टॉक नहीं है। किसी अफवाह में फंसकर किसानों ने अब तक बेसब्र बिकवाली का रास्ता नहीं चुना है।
Edible oil prices : मार्च के महीने में 11.49 लाख टन खाद्यतेलों का आयात हुआ था और अब अप्रैल में 13-13.50 लाख टन के लगभग खाद्यतेलों का आयात होने की संभावना है।
Edible oil prices : जो लोग किसानों को सस्ते में बेचने के मकसद से और सरसों का भाव तोड़ने के लिए आने वाले दिनों में सोयाबीन और सूरजमुखी का आयात बढ़ने की चर्चा फैला रहे थे, वे अब खामोश हैं और किसानों को भी समझ आ रहा है कि ऐसी अफवाहों का कारण क्या था।
Edible oil prices : जबतक पाम, पामोलीन के भाव सूरजमुखी से पर्याप्त कम नहीं होंगे, तब तक खाद्य तेलों की आपूर्ति की स्थिति नहीं सुधरने जा रही है।
Edible oil prices : पाम, पामोलीन के दाम महंगे होने से सॉफ्ट आयल कीमतों पर भी दवाब बढ़ गया है। इससे सभी तेल तिलहन के दाम मजबूत होते जा रहे हैं।
Sarso ka rate : बीते हफ्ते सरसों दाने का थोक भाव 150 रुपये की गिरावट के साथ 5,275-5,315 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। मूंगफली तिलहन के दाम 45 रुपये की गिरावट के साथ 6,080-6,355 रुपये क्विंटल पर बंद हुए।
सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के इम्पोर्ट पर सरकार के इस फैसले का असर अगले एक साल तक देखने को मिलेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि कीमतें कंट्रोल में रहेंगी।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि इस कदम का बाजार की धारणा पर कुछ अस्थायी प्रभाव हो सकता है, लेकिन इससे आयात नहीं बढ़ेगा।
यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य तेलों के दाम गिरने और घरेलू स्तर पर सरसों जैसी तिलहन फसलों की उपलब्धता में सुधार को देखते हुए उठाया गया है।
धारा ने सोयाबीन तेल, राइसब्रान ऑयल, सूरजमुखी तेल और मूंगफली तेल में कटौती की है। मूल्य कटौती के बाद धारा रिफाइंड सोयाबीन तेल (एक लीटर का पैक) का दाम 170 रुपये से घटकर 150 रुपये रह गया है।
भारत आयात के माध्यम से अपनी वार्षिक खाद्य तेल खपत का लगभग 56 प्रतिशत जरुरत को पूरा करता है। सालाना आयाात करीब 1.3-1.4 करोड़ टन है।
राज्यों के मापविज्ञान अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे खाद्य तेलों के निर्माताओं, पैकर्स और आयातकों के बीच तापमान का उल्लेख किए बिना जिंस को पैक करने के लिए जागरूकता पैदा करें।
आज भारतीय शेयर बाजार में कमजोरी देखने को मिली है। बीएसई सेंसेक्स 518 अंक से अधिक के नुकसान में रहा, जिसका असर तिलहन बाजार पर भी देखने को मिला। आइए आज जानते हैं कि हफ्ते के पहले दिन तिलहन कितना महंगा-सस्ता हुआ।
मंदी की चपेट में जूझती दुनिया के बीच भारत में महंगाई पर लगाम लगाई जा रही है। सरकार के शानदार नीतियों और मजबूत इरादों के बदौलत आज महंगाई दर कम हुआ है। इस बीच सरकार ने खाने की चीजों से जुड़े प्रोडक्ट की खरीद में भी बढ़ोतरी की है।
बरसात की वजह से बिनौला की नयी फसल के मंडियों में आने में हुई देर तथा किसानों द्वारा नीचे भाव पर बिकवाली नहीं करने के बीच मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन दाना और लूज (तिलहन) और बिनौला तेल कीमतें अपरिवर्तित बनी रहीं।
Edible Oil: बीते 2 महीने में कच्चा तेल ही नहीं बल्कि खाने के तेल (Oil) के दाम भी आम आदमी का तेल निकाल रहे हैं। अब गुजरात स्टेट एडिबल ऑयल एंड एडिबल ऑयल सीड्स एसोसिएशन (GSEOOSA) के अध्यक्ष ने आशंका व्यक्त की है कि देश में खाद्य तेल के दाम बढ़ेंगे।
Government Action: : केंद्र सरकार ने लेबल में तापमान के बजाय मात्रा और वजन के संदर्भ में शुद्ध मात्रा का उल्लेख करने का निर्देश दिया।
Edible Oil Price Cut: देश भर में खाने के तेल की कीमतों (Edible Oil Price) में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। यहां आपको पूरी रेट लिस्ट देखने को मिलेगी
16 जून को वैश्विक बाजारों में कीमतों में नरमी आने के साथ अपने खाद्य तेलों की कीमतों में 15 रुपये प्रति लीटर तक की कमी की थी।
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