रघुराम राजन के पद छोड़ने और अपने कार्यकाल के विस्तार से इनकार करने के फैसले पर केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने आश्चर्य जताया है।
जी-20 के वित्त प्रमुखों ने कहा कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने (ब्रेक्जिट) के निर्णय से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये जोखिम बढ़ा है।
भारत की पिछले 12 साल की औसतन 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर आम आदमी के जीवन में महत्वपूर्ण सुधार लाने में नाकाम रही है। यह बात जाने-माने विकास अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कही है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष में बढ़कर 7.7 फीसदी रहने की उम्मीद है।
अरविंद सुब्रमणियन ने कहा, अगर वैश्विक आर्थिक माहौल का समर्थन मिले तो भारतीय अर्थव्यवस्था अगले दस साल तक 8 फीसदी से अधिक वृद्धि दर हासिल कर सकती है।
वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टैनली ने इस साल भारत के लिए अपने ग्रोथ दर के अनुमान को बढ़ाकर 7.7 फीसदी कर दिया। 2017 में 7.8 फीसदी रहेगी ग्रोथ।
ADB ने 2016 के लिए एशिया क्षेत्र के वृद्धि दर के अनुमान को मामूली घटा दिया है। हालांकि, भारत इस साल 7.4 फीसदी वृद्धि दर हासिल करेगा।
GST विधेयक को लेकर मोटी सहमति बनने का दावा करते हुए वेंकैया नायडू ने कहा कि केंद्र इस विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पारित कराने को लेकर बहुत गंभीर है।
20 शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं ने बढ़ते व्यापार विरोधी कदमों के कारण वैश्विक आर्थिक नरमी के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय व्यापार के संचालन में सुधार करने पर सहमति जताई।
भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में पिछले वर्ष के मुकाबले धीमी रहकर 7.4 फीसदी रह सकती है। HSBC ने एक रिपोर्ट में यह कहा है।
अरविंद सुब्रमणियम ने कहा, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम कम रहने से वर्ष 2016-17 में चालू खाते का घाटा जीडीपी के एक फीसदी से नीचे रह सकता है।
जैनेट येलेन ने कहा कि धीमी घरेलू गतिविधियों और यूरोपीय संघ से बाहर निकलने का असर होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सामने काफी अनिश्चितता है।
विश्वबैंक ने कहा, यदि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.6 फीसदी बनाए रखनी है तो उसे निजी निवेश के साथ-साथ ग्रामीण मांग को बढ़ाने पर काम करना होगा।
हाल के वर्षों में निवेश के लिहाज से आकर्षक रही भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ती बाहरी और आंतरिक अनिश्चितता देखने को मिल सकती है।
सेबी अध्यक्ष यूके सिन्हा ने कहा कि अमेरिकी निवेशक भारत के बारे में बहुत आशावादी हैं और ऐसा मोदी सरकार द्वारा पिछले दो साल में की गई नीतिगत पहलों से हुआ है।
मानसून के अच्छे रहने की उम्मीद और उपभोग मांग में वृद्धि के चलते इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 8.1 फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
सरकार औद्योगिक उत्पादन और थोकमूल्य संबंधी संशोधित सूचकांक लेकर आएगी ताकि उन्हें बदलते आर्थिक परिदृश्य के ज्यादा अनुकूल संकेतक बनाया जा सके।
उतार चढाव वाले कारोबार के बीच BSE का सेंसेक्स कारोबार के दौरान 7 महीने की उंचाई को छूने के बाद बिकवाली दबाव बढ़ने से 27,000 अंक से नीचे लगभग स्थिर बंद हुआ।
ICD का कहना है कि सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बने रहने के साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 7.5 फीसदी बने रहने की उम्मीद है।
भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2015-16 में 7.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है। आंकड़ों के मुताबिक चौथी तिमाही के दौरान आर्थिक विकास दर 7.9 फीसदी रही।
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