जुलाई के दौरान देश के औद्योगिक उत्पादन में लगातार पांचवे महीने गिरावट देखने को मिली है। आज जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक जुलाई के दौरान इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन यानि आईआईपी में 10.4 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। जून के दौरान इसमें 16.6 फीसदी की गिरावट थी।
अनुमानों के मुताबिक अगले वित्त वर्ष अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी देखने को मिलेगी। एजेंसी के मुताबिक तीसरी तिमाही से रिकवरी शुरू होगी और 2021-22 में अर्थव्यवस्था में बेस इफेक्ट की वजह से तेज बढ़त देखने को मिल सकती है।
“बैंक न भूलें कि उनका मूल काम लोगों को कर्ज देना है, उन्हे ये काम करते रहना चाहिए। वहीं उन्हें सरकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों का कल्याण भी करना चाहिए। वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों को भी सरकारी योजनाओं के जरिए लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए”
जुलाई 2020 के दौरान सीमेंट, इस्पात और कोयला जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार के संकेत मिले हैं। हालांकि पिछले साल के स्तर के मुकाबले इन सेक्टर में अभी भी गिरावट का रुख है लेकिन जून के मुकाबले स्थिति में तेज सुधार का अनुमान
पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट के बाद दूसरी तिमाही में यह गिरावट 12 से 15 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4 से 5 प्रतिशत रह सकती है।
इस फिरौती के बाद दुनिया को पहली ग्लोबल करंसी मिली इसके साथ ही पैसे का फ्लो बढ़ने से महंगाई और करंसी के डीवैल्यूशन जैसे अहम सबक भी मिले, इसी की वजह से दुनिया की पहली कैशलैस सभ्यता भी खत्म हो गई।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी ताजा मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिबंधों में ढील के बाद से अब अर्थव्यवस्था से जुड़े संकेत बेहतर होने लगे हैं। पीएमआई इंडेक्स, कोर सेक्टर, खरीफ की बुवाई, मालढुलाई, यात्री वाहनों की बिक्री के आंकड़ों से रिकवरी के संकेत हैं।
यह रिकॉर्ड गिरावट निजी क्षेत्र के कारण आई थी, जो कि कोविड-19 महामारी को रोकने के प्रयासों के तहत या तो बंद थे या प्रतिबंधित थे।
केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा लॉकडाउन के कारण कमजोर राजस्व संग्रह के चलते वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों (अप्रैल- जुलाई) में ही पूरे साल के बजट अनुमान को पार कर गया है। वित्त वर्ष 2020- 21 के बजट में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
जुलाई में रेलवे के जरिए मालढुलाई पिछले साल के 95 फीसदी स्तर तक पहुंच गई है। वहीं अगस्त के 26 दिनों में इसमें पिछले साल के मुकाबले बढ़त दर्ज हुई है। वहीं बिजली की खपत पिछले स्तरों के करीब पहुंच गई है।
कोरोना संकट की वजह से आय घटने और खर्च बढ़ने से राजकोषीय घाटे में उछाल देखने को मिला है। 2020- 21 के बजट में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कोरोना की वजह अब तक की सबसे तेज तिमाही गिरावट देखने को मिली है। आज जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक जून में खत्म हुई तिमाही के दौरान जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। इसी तिमाही के दौरान कारोबारी गतिविधियों पर कोरोना संकट का सबसे गहरा असर देखने को मिला था, जिसका असर आंकड़ों के रूप में अब सबके सामने है।
अप्रैल-जून तिमाही के दौरान दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर बढ़ा है और कोरोना की वजह से दुनिया के कई बड़े देशों की अर्थव्यवस्था चौपट हुई है। ऐसे देशों में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका के साथ जापान, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं।
रिजर्व बैंक ने कहा कि एक बात जो उभरकर आ रही है, वह यह है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया बदल जाएगी और एक नया सामान्य जीवन सामने आएगा।
Japan reports its worst GDP on record कोरोना वायरस महामारी की वजह से उपभोग तथा व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे अर्थव्यवस्था में जोरदार गिरावट दर्ज हुई है।
2020 के दौरान अर्थव्यवस्था में 3.5 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत तक कमी आएगी। अनुमान है कि अर्थव्यवस्था 2021 में पटरी पर आ जाएगी
प्रधानमंत्री मोदी अपनी नई घोषणाओं के जरिये कोरोना वायरस से प्रभावित और सुस्त पड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था में फिर एक बार तेजी लाने की कोशिश करेंगे।
कोरोना की वजह से होने वाले बदलावों से एशिया के कुछ विकासशील देशों को फायदा संभव
‘लोगों को कोरोना वायरस के साथ ही जीवन जीने के लिये तैयार होना होगा’
बेहतर बुवाई के संकेतों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूत सुधार संभव
लेटेस्ट न्यूज़