रेटिंग एजेंसी ने पीएनसी फाइनेंशियल सर्विसेज ग्रुप सहित 11 बैंकों का आउटलुक निगेटिव कर दिया है।
अर्थशास्त्रियों की माने तो कोरोना ने 2008 की आर्थिक मंदी से बुरे हालात पैदा कर दिए हैं। ऐसे में समय रहते अगर चेता नहीं गया तो इसके गंभीर परिणाम उठाने होंगे।
कोरोना संकट के बीच RBI Governor शक्तिकांत दांस ने शुक्रवार को कई बड़े ऐलान किए, रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की।
तकनीकी रूप से यदि लगातार दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था का आकार घटता है, तो उसे मंदी कहा जाता है।
इससे पहले दक्षिण अफ्रीका वर्ष 2008-09 तथा उसके बाद 2018 में मंदी की चपेट में आया था।
इन 11 क्षेत्रों में रीयल एस्टेट, बिजली, वाहन एवं वाहन अनुषंगी, दूरसंचार तथा बुनियादी ढांचा समेत अन्य शामिल हैं।
जॉर्जीवा ने शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2019 में अचानक सुस्ती का सामना किया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में जितनी सुस्ती आ सकती थी, वह आ चुकी है। अब यहां से इसमें तेजी देखने को मिलेगी।
अमेरिका और चीन के बीच पहले चरण के व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने से उत्साहित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जनवरी महीने में अब तक भारतीय पूंजी बाजार में 1,624 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
आर्थिक मंदी को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार कहा कि सरकार आगामी एक फरवरी 2020 को पेश होने वाले केंद्रीय आम बजट में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 'कार्य योजना' पेश करेगी।
भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ही केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर हमला बोल दिया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया के कई विकसित देशों के मुकाबले भारत वैश्विक आर्थिक मंदी से कम प्रभावित है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि आजाद भारत में पहली बार विकास दर के मुकाबले महंगाई दर को मोदी सरकार ने बढ़ने नहीं दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि निदेशकों को लगता है कि मजबूत जनादेश वाली नई सरकार के सामने यह सुधारों को आगे बढ़ाने का एक बेहतर अवसर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के कारोबार के अनुकूल रवैये का शुक्रवार को जिक्र करते हुए कहा कि देश में कारोबार को सुगम बनाने के लिये कंपनी अधिनियम के प्रावधानों को आपराधिक कार्रवाई से मुक्त करने पर काम किया जा रहा है।
दिल्ली के विज्ञान भवन में उद्योग संगठन एसोचैम की वार्षिक आम सभा के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुस्त अर्थव्यवस्था को लेकर खुद ही मोर्चा संभाल लिया है।
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने इस बात पर हैरानी जताई है कि शेयर बाजार कैसे चढ़ रहा है, जबकि देश की अर्थव्यवस्था लगातार नीचे जा रही है।
दास ने कहा कि विवेकपूर्ण वृहद आर्थिक मानदंडों पर समझौता किए बिना, हमने वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती, धन उपलब्धता की स्थिति सुधारने जैसे कदम उठाए हैं।
देश से सेवाओं का निर्यात अक्टूबर में 5.25 प्रतिशत बढ़कर 17.70 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इस दौरान सेवाओं का आयात का आंकड़ा 10.86 अरब डॉलर पर लगभग स्थिर रहा।
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय 'सुस्ती' के चंगुल में फंसी है और इसमें बेचैनी और अस्वस्थता के गहरे संकेत दिखाई दे रहे हैं।
आर्थिक सुस्सी के बीच मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार आगे और भी आर्थिक सुधार करने को तैयार है।
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