पूरे मानसून सीजन यानि जून से सितंबर के दौरान अगर बारिश की कमी 10 प्रतिशत या इससे ज्यादा हो तो सीजन को सूखा घोषित कर दिया जाता है।
भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी महीने में 24 तारीख तक देश में सिर्फ 2.2 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई है जो औसत के मुकाबले 84 प्रतिशत कम है
मानसून सीजन यानि पहली जून से लेकर 30 सितंबर तक सबसे कम बरसात रही है उनमें मणिपुर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश सबसे आगे हैं
देश के 15 राज्यों में सामान्य के मुकाबले बहुत कम बरसात हुई है। मौसम विभाग के आंकड़ों को देखें तो देश के 235 जिले सूखाग्रस्त हैं
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि जुलाई से शुरू होने वाले फसल वर्ष 2017-18 में खाद्यान्न उत्पादन के नए रिकॉर्ड को छूने की संभावना है।
प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने मानसून को लेकर अपना पहला अनुमान जारी कर दिया है। इसके मुताबिक 2014-15 की तरह इस साल भी देश में सामान्य से कम बारिश होगी।
केरल 100 साल के सबसे बड़े सूखे का सामना कर रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए केरल के मुख्यमंत्री क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश कराने पर विचार कर रहे है
चीनी उत्पादन सितंबर में समाप्त होने वाले मार्केटिंग ईयर 2016-17 के पहले पांच महीने में 19% घटकर 1.62 करोड़ टन रहा। महाराष्ट्र और कर्नाटक के सूखे का असर।
सरकार ने खाद्यान्न उत्पादन को लेकर अपना दूसरा अग्रीम अनुमान जारी कर दिया है। 2016-17 के दौरान देश में रिकॉर्ड 27.198 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन होगा।
पेप्सी और कोका कोला को बड़ा झटका लग सकता है। तमिलनाडु की दो ट्रेड संगठन ने अपने सदस्यों से इन दोनों कंपनियों के किसी भी सामान को बेचने से मना किया है।
मोदी ने महाराष्ट्र सहित सूखा प्रभावित 11 राज्यों को कहा है कि वे मानसून के आने तक गांवों मैं सूखे से बचाव के लिए साप्ताहिक आधार पर उपाय करें।
भीषण सूखे का सामना कर रहे कर्नाटक को अतिरिक्त केंद्रीय मदद की दरकार है। कर्नाटक में शुष्क मौसम के कारण में 15,635 करोड़ रुपये कीमत की फसल बर्बाद हो गई।
पीयूष गोयल ने महाराष्ट्र में कृषि संकट के लिए पूर्व कांग्रेस-एनसीपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। वहीं पानी पहुंचाने के लिए फड़णवीस की सराहना की।
देश के सभी 91 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 24 फीसदी पर आ गया है। इनमें समान अवधि के लिए 10 साल के औसत से भी 23% कम पानी है।
दस राज्यों में सूखे के असर के बीच केंद्र ने सभी विभागों से कहा कि वे विभिन्न योजनाओं के तहत पैसा जारी करें। इससे पीने के पाने की सप्लाई सुधारी जा सके।
देश में लगातार दो साल से सूखे के बावजूद सरकारी अनुमान के मुताबिक देश में 2015-16 (फसल वर्ष) के दौरान अनाज उत्पादन बढ़कर 25.31 करोड़ टन पहुंच सकता है।
लगातार यह दूसरा साल है जब भारत में सूखे जैसे हालात है। लेकिन अगले 9 महीने में इसके खत्म होने की संभावना है। अल-नीनो पर ला-नीना भारी पड़ सकता है।
लेटेस्ट न्यूज़