बहादुरगढ़ और रोहतक में स्थित संस्थान मारुति सुजुकी और हरियाणा परिवहन विभाग की संयुक्त उद्यम है।
ऐप आधारित टैक्सी सेवा ओला और उबर के चालक कमाई घटने से सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना( एमएनएस) की परिवहन शाखा महाराष्ट्र नवनिर्माण वहातूक सेना ने हड़ताल का आह्वान किया है।
रेल कर्मचारी अक्टूबर महीने से रितु बेरी की डिजाइन की हुई चमकदार जैकेट और काली एवं पीली टीशर्ट की डिजाइनर वर्दी में नजर आएंगे।
क्या एप आधारित टैक्सी सेवा देने वाली ओला और उबर के ड्राइवर या चालक इन कंपनियों के कर्मचारी हैं? दिल्ली उच्च न्यायालय में यह सवाल उठा।
बंबई हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में टैक्सी ड्राइवर्स एसोसिएशन और मालिकों को उबर इंडिया के ड्राइवरों के काम करने में दखलंदाजी नहीं करने को कहा है।
उबर इंडिया ने टैक्सी मालिक एवं चालक संघों को 12 करोड़ रुपए की नुकसान भरपाई का निर्देश देने की मांग करते हुए बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
Ola, Uber के एक 1.5 लाख से अधिक ड्राइवर्स एक बार फिर हड़ताल पर चले गए है। ड्राइवर्स का आरोप है कि Ola-Uber कम पैसों पर बंधुआ मजदूर की तरह काम करा रही हैं।
शराब पीकर गाड़ी चलाना आने वाले दिनों में बहुत महंगा पड़ने वाला है। नशे की हालत में गाड़ी चलाते पकड़े गए तो अब दस हजार रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा।
सावधान! कैबिनेट ने मोटर व्हीकल (संसोधन) बिल 2016 को मंजूरी दी। सभी को अपना ड्राइविंग लाइसेंस आधार से लिंक करना जरूरी होगा। साथ ही, बड़ा जुर्माना देना होगा।
दिल्ली-NCR में Ola , Uber को टक्कर देने के लिए कैब ड्राइवर यूनियन 'चालक शक्ति' 7 अप्रैल से 'SEWA Cab' नाम से ऐप-आधारित टैक्सी सर्विस शुरू करने जा रहा है।
दिल्ली में शनिवार (3 मार्च) लर्निंग, पर्मानेंट ड्राइविंग लाइसेंस से लेकर डुप्लिकेट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, ट्रांसफर ऑफ वीकल जैसी सुविधाएं घर बैठे पा सकते है
कैब सेवा देने वाली कंपनी Ola , Uber के एक लाख से अधिक ड्राइवरों ने दिल्ली सरकार और कंपनी प्रबंधन की बैठक के बाद 13 दिन से जारी हड़ताल खत्म करने का फैसला किया है।
एप आधारित टैक्सी सेवा देने वाली दो प्रमुख कंपनी ओला और उबर से जुड़े एक लाख से अधिक ड्राइवर बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए।
आने वालों दिनों में ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) बनवाना और आसान हो जाएगा। केंद्र सरकार मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव करने की तैयारी कर रही है।
देश के ग्रेजुएट्स के लिए व्हाइट-कॉलर जॉब पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है। इसलिए, ज्यादातर युवा ब्लू-कॉलर जॉब की तलाश कर रहे हैं।
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