अमेरिकी बाजार सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ही नहीं बल्कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्था के लिए बैरोमीटर का काम करता है। अमेरिकी शेयर मार्केट एक्सचेंज- डॉव जोन्स, एसएंडपी 500, नैस्डैक और बॉन्ड यील्ड पर दुनियाभर के निवेशकों की पैनी नजर होती है।
अमेरिकी आर्थिक विश्लेषण ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अप्रैल से जून तिमाही के दौरान अमेरिकी जीडीपी 2.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी। अमेरिकी विकास दर इतनी जल्दी नकारात्मक में जाने की संभावना नहीं है।
सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों का विनियामक द्वारा निरीक्षण किया जाता है, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित करने और निवेशकों का विश्वास बनाए रखने में मदद मिलती है।
2023 के पहले तीन महीनों में भारत में लगातार बिकवाली करने वाले एफपीआई मई में मजबूत खरीदार बने हुए हैं। एफपीआई ने 25 मई तक शेयर बाजारों के जरिए 29,668 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
भारतीय Stock Market की आज बेहद कमजोर शुरुआत हो सकती है। दरअसल, बुधवार को अमेरिकी बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। Dow जोन्स 1000 अंक से ज्यादा गिरा, Nasdaq और S&P 4% से ज्यादा टूटे हैं।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा 22 साल बाद अपनी ब्याज दरों में 0.50 फीसदी की बड़ी बढ़ोतरी की है। इससे गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आई।
सूचकांक में शामिल कंपनियां बाजार पूंजीकरण के हिसाब से दुनिया की 2,500 बड़ी कंपनियों के दस फीसदी का प्रतिनिधित्व करती हैं।
अमेरिकी बाजार के तीनो प्रमुख इंडेक्स में 9 फीसदी से ज्यादा बढ़त दर्ज
दुनिया भर के शेयर बाजारों पर चीन के कोरोना वायरस का डर देखने को मिल रहा है
हफ्तेभर के दौरान हांगकांग का हैंगसैंग 9.5 प्रतिशत, चीन के बाजार शंघाई में 9.6 प्रतिशत और जापान के बाजार निक्केई 225 में 8.2 प्रतिशत की भारी गिरावट देखने को मिली है
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