चीन ने भारत सहित चान अन्य देशों से आयातित सामान पर शुल्क खत्म करने या घटाने का फैसला किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर अब चीन की टेक्नोलॉजी कंपनियों का निवेश है। मीडिया की खबरों में कहा गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप जल्द अमेरिका की टेक्नोलॉजी में चीन के निवेश के खिलाफ नए उपायों की घोषणा कर सकते हैं।
ईरान ने घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने के एक कदम उठाते हुए उन वस्तुओं की एक सूची जारी की है, जिनका आयात प्रतिबंधित कर दिया गया है।
EU today impose duty on American Goods
श्विक व्यापार युद्ध गुरुवार को और बढ़ गया। चीन ने कहा है कि यदि डोनाल्ड ट्रंप अपने अतिरिक्त आयात शुल्क को वापस नहीं लेते हैं तो वह बड़ी जवाबी कार्रवाई करेगा।
दुनियाभर के शेयर बाजारों में मंगलवार को आई भारी गिरावट की वजह से भारतीय शेयर बाजार में भी बिकवाली देखने को मिली है, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 261.52 प्वाइंट की गिरावट के साथ 35286.74 पर बंद हुआ है जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 89.40 प्वाइंट घटकर 10710.45 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार में सेंसेक्स ने 35249.06 और निफ्टी ने 10701.20 का निचला स्तर छुआ है
चीन से अमेरिका में आयात होने वाली वस्तुओं के पीछे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाथ धोकर पीछे पड़ गए हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति ने फिर से चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर फिर से आयात शुल्क लगाने की धमकी दे डाली है, अमेरिका और चीन पहले एक दूसरे पर 50-50 अरब डॉलर के सामान पर आयात शुल्क लगा चुके हैं और ट्रंप की नई धमकी के बाद चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध और भी ज्यादा गहराने की आशंका है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले सामानों के आयात पर 50 अरब डॉलर के शुल्क को मंजूरी दे दी। अमेरिका के व्यापार मंत्री द्वारा इस संबंध में आज औपचारिक घोषणा किए जाने का अनुमान है।
भारत और अमेरिका व्यापार व आर्थिक मोर्चे पर विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए आधिकारिक स्तर की विस्तृत बातचीत करने पर राजी हो गए हैं। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने भारत पर कुछ अमेरिकी उत्पादों पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने का आरोप लगाया था।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 209.05 प्वाइंट की तेजी के साथ 35692.52 पर बंद हुआ जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 55.90 प्वाइंट बढ़कर 10842.85 पर बंद हुआ। किम के साथ मुलाकात के बाद ट्रंप ने बयान दिया है कि मुलाकात उम्मीद से बेहतर रही है
दोनो देशों के बीच तनाव की वजह से अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों ने उत्तर कोरिया पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं। लेकिन ट्रंप और किम के बीच आज हुई मुलाकात के बाद ऐसी उम्मीद जगी है कि आने वाले समय से में उत्तर कोरिया के ऊपर लगे प्रतिबंधों में ढील आ सकती है, अगर ऐसा हुआ तो इससे भारत को भी बड़ा फायदा मिलने की संभावना है
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित दुनिया की कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं पर निशाना साधते हुए उन पर अमेरिका को व्यापार में लूटने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारत कुछ अमेरिकी उत्पादों पर 100% शुल्क वसूल रहा है।
विश्व की सात उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के संगठन G7 के वित्त मंत्रियों की वार्षिक बैठक में सभी सदस्य देशों ने अमेरिका के आक्रामक संरक्षणवाद की एक सुर में निंदा की। बैठक की समाप्ति के बाद सातों सदस्य देशों के वित्तमंत्रियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से धातुओं पर शुल्क लगाने का निर्णय वापस लेने की मांग की।
अमेरिका और चीन ने व्यापार में चल रहे तनाव को खत्म करने के लिए कदम उठाया है। दोनों देशों ने इसको लेकर एक समझौता किया है। इसके तहत चीन अब अमेरिका से आयात बढ़ाएगा। अमेरिकी वस्तुओं का आयात बढ़ाकर चीन 375 अरब डालर के अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने पर ध्यान देगा।
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन H-1B वीजा प्रक्रियाओं को तर्कसंगत बनाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। यह वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है। संघीय एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि बेहतरीन और सर्वश्रेष्ठ विदेशी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप सरकार H-1B वीजाधारकों के जीवनसाथियों के लिए वर्क परमिट को समाप्त करने की योजना बना रही है। यानी कि यदि पति के पास H-1B वीजा है, तो पत्नी को भी कार्य करने की अनुमति नहीं होगी। इसी तरह पत्नी के पास वीजा होने पर पति को वर्क परमिट नहीं मिलेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ व्यापार संबंधी विवाद को तेज करते हुए चीनी उत्पादों पर 100 अरब अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगाने को कहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका चीन के साथ किसी भी तरह का व्यापार युद्ध नहीं लड़ रहा है क्योंकि उसे तो अमेरिका कई साल पहले अपने पूर्व ‘बेवकूफ और बेकार’ नेताओं के चलते हार चुका है।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के H-1B वीजा आवेदनों मेंइस बार आश्चर्यजनक गिरावट आई है। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कड़े आव्रजन रुख से विदेशी पेशेवर भी अमेरिकी कंपनी में आने से कतरा रहे हैं।
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