कोरोना महामारी के बाद देश में घरों की मांग तेजी से बढ़ी है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों के अलावा छोटे शहरों में भी घरों की मांग बढ़ी है। एक जो बड़ा बदलाव आया था कि महंगे घरों की बिक्री तेजी से बढ़ी है। इससे डेवलपर्स का मुनाफा बढ़ा है।
आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष घरों का निर्माण सबसे ज्यादा दिल्ली-एनसीआर में होगा, जिसके बाद मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) है। दिल्ली-एनसीआर में इस वर्ष 1,70,100 घरों का निर्माण पूरा होने की संभावना है।
बिल्डरों को अब बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा के सस्ती आवासीय परियोजनाओं पर एक प्रतिशत और अन्य श्रेणियों की आवासीय इकाइयों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने की अनुमति दी गई है।
माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने अपने प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग रोकने और फर्जी एप (स्पैम एप) के खिलाफ लड़ाई को तेज करते हुए इस साल अप्रैल से जून के बीच 1.43 लाख से अधिक एप को हटा दिया है।
क्रेडाई की गाजियाबाद शाखा की जनरल बॉडी मीटिंग मंगलवार को वसुंधरा स्थित गोल्डन ट्यूलिप होटल में आयोजित की गई।
रियल एस्टेट डेवलेपर्स ने भी घर खरीदने वालों के लिए ऑफर्स और डिस्काउंट की शुरुआत करने की घोषणा की है।
GST के तहत निर्माणधीन परियोजनाओं पर प्रभावी कर की दर 12 प्रतिशत तक होगी। इसमें 6.5 प्रतिशत वृद्धि होगी।
चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में घरों की बिक्री 31 प्रतिशत घटी है, नए लॉन्च होने वाले प्रोजेक्ट्स में 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
सरकार ने कहा है कि रियल एस्टेट कानून में उपभोक्ता, डेवलपर्स और एजेंट सभी की जरूरतों के बीच संतुलन बैठाने का प्रयास किया गया है।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने विभिन्न आवासीय परियोजनाओं में तैयार हो चुके फ्लैटों की रजिस्ट्री के लिए एनओसी देने की योजना का प्रस्ताव किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पार्श्वनाथ डवेलपर्स पर सख्ती की है। डवेलपर्स को चार हफ्ते के अंदर कोर्ट रजिस्ट्री में 12 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया गया है।
बिल्डरों की मनमानी पर लगाम कसने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए लाया गया रियल एस्टेट रेग्युलेटरी एक्ट आज से देशभर में लागू हो रहा है।
नीतिगत दर में कटौती के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बिल्डर्स से कहा कि लोगों संपत्ति खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कीमत कम करना चाहिए।
घर खरीदार बिल्डर्स से ज्यादा स्मार्ट हैं, वह लंबी देरी के साथ ही कंस्ट्रक्शन की खराब क्वालिटी और कारपेट एरिया में होने वाले खेल को समझ चुके हैं।
एनसीडीआरसी ने घर खरीदारों को बड़ी राहत और बिल्डर्स को बड़ा झटका दिया है। प्रोजेक्ट लेट होने पर बिल्डर्स को 2000 रुपए तक ग्राहकों को हर्जाना देना होगा।
यहां ऐसे बहुत से कदम हैं, जिन्हें उठाकर रियल एस्टेट डेवलपर्स ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित कर दोबारा डिमांड पैदा कर सकते हैं।
3540 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में से करीब 75 फीसदी 2014-15 तक शुरू नहीं हो पाए हैं। इन प्रोजेक्ट्स में निवेशकों के 14 लाख करोड़ रुपए की राशि फंसी हुई है।
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