भारत के पास पूर्वी और पश्चिमी तट पर तीन स्थानों पर भूमिगत भंडारगृहों में 3.8 करोड़ बैरल कच्चे तेल का भंडार मौजूद है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भारत पर काफी असर पड़ा है। दुनिया का तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता देश होने से भारत को अपनी विदेशी मुद्रा का एक बड़ा हिस्सा तेल आयात पर खर्च करना पड़ रहा है।
कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के द्वारा स्ट्रेटजिक पेट्रोलियम रिजर्व से कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ाने के संकेतों के बाद भी कीमतों पर असर पड़ा
तीन नवंबर को केन्द्र सरकार के द्वारा पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। जिसके बाद से कीमतों में लगातार बढ़त से राहत मिल रही है।
तीन नवंबर को केन्द्र सरकार के द्वारा पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में क्रमश: पांच और 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती के बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर हैं।
एक अनुमान के मुताबिक वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरल 10 अमरीकी डालर की बढोतरी से व्यापार घाटा 12 अरब डालर या सकल घरेलू उत्पाद के 35 बेस प्वाइंट तक बढ़ेगा
गठबंधन कोरोना वायरस महामारी के दौरान उत्पादन में की गई कटौती को बहाल करने के लिए सावधानी से आगे बढ़ रहा है, जिसके चलते कच्चा तेल सात साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
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भारत का तेल आयात बिल 2020 की जून तिमाही में 8.8 अरब डॉलर था। कच्चे तेल के दाम में तेजी के कारण यह अब 24 अरब डॉलर पहुंच गया है।
पिछले साल की तुलना में इस वर्ष के पहले सात महीनों में श्रीलंका का तेल बिल 41.5 प्रतिशत बढ़कर दो अरब डॉलर हो गया है।
तेल की कीमतें वृद्धि के साथ 83 डॉलर प्रति बैरल हो गयी है और कोयले की कीमत भी उछाल के साथ 200 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गयी है।
यह एक ऐसा कदम है जो त्योहारी मौसम में खाद्य तेलों की कीमतों को कम करने और घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने में मदद करेगा।
विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने तथा कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित होने से रुपये की विनिमय दर में गिरावट आई।
बढ़ोत्तरी के बाद देश की राजधानी दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल का भाव 103.54 रुपये और डीजल की कीमत 92.12 रुपये हो गई है।
बीते 8 दिन में डीजल 2.15 रुपये प्रति लीटर महंगा हो गया है। वहीं बीते एक हफ्ते में पेट्रोल 1.2 रुपये प्रति लीटर तक महंगा हो गया है। ब्रेंट क्रूड के 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से ये तेजी आई है।
सोमवार को ही ब्रेंट क्रूड की कीमत बढ़त के साथ 80.75 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गई थी, जो कि इसका 3 साल का उच्चतम स्तर भी था।
ब्रेंट क्रूड की कीमत 79 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गयी है। बीते एक महीने में क्रूड की कीमत में 11 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल दर्ज हुआ है।
प्राकृतिक गैस का उत्पादन अगस्त में 20 प्रतिशत बढ़कर 2.9 अरब घन मीटर रहा। वहीं जून के महीने में खनिजों का उत्पादन 23 प्रतिशत बढ़ा है।
आपको बता दें कि IOCL की ओर से हर रोज सुबह 6 बजे पेट्रोल डीजल की कीमतें जारी कर दी जाती है। सितंबर के महीने में दो बार कीमतों में कटौती दर्ज हुई है।
दो हफ्ते से ज्यादा वक्त से पेट्रोल और डीजल की कीमतों कोई बदलाव नहीं किया गया। सितंबर के दौरान दो बार में ईंधन कीमतें 30 पैसे कम हुई हैं
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