तेल की गिरती कीमतों के बीच ग्लोबल ऑयल मार्केट में बड़े बदलाव के आसार नजर आ रहे हैं। सऊदी अरब और अमेरिका के बाद दुनिया की निगाहें अब भारत पर टिकी है।
दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनरी परिसर के मालिक मुकेश अंबानी का मानना है कि ग्लोबल स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें अभी तीन से पांच साल तक निचले स्तर पर बने रहेंगे।
दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों के बीच तेल उत्पादन में कटौती को लेकर सहमति बन गई है। पेट्रोल और डीजल के सस्ते होने के संभावना भी खत्म होती दिख रही है।
अमेरिका में रिकॉर्ड उत्पादन, यूरोजोन और चीन व ब्राजील जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर मांग से भारत के लिए क्रूड ऑयल की प्राइस काफी घट चुकी हैं।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) अपनी तरह के पहले समझौते के तहत भारत की रणनीतिक तेल भंडार सुविधाओं में अपना कच्चा तेल रखने पर सहमत हो गया है।
क्रूड ऑयल की कीमतें आने वाले दिनों में किस दिशा में जाएंगी, इसको लेकर सभी परेशान हैं। बड़े बैंक हों या फिर रिसर्च फर्म सभी इसको लेकर पसोपेश में हैं।
ईरान ने भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियों एस्सार ऑयल और एमआरपीएल से उसके कच्चे तेल के बकाए का भुगतान छह महीने में यूरो में करने को कहा है।
विदेशों में मजबूती के रुख और शादी विवाह के मौसम की लिवाली बढ़ने के कारण सोना नौ सप्ताह के उच्चस्तर 27,700 रुपए प्रति 10 ग्राम को छू गईं।
क्रूड का फंडामेंटल अचानक बदलता नजर आ रहा है। 20 डॉलर प्रति बैरल कीमत की भविष्वाणी करने वाले ग्लोबल एनालिस्ट अब तेजी की बात कर रहे हैं।
इससे देश में क्रूड ऑयल का बड़ा भंडार तैयार किया जाएगा, जिससे आपत स्थिति या कीमतों मेें अधिक वृद्धि के वक्त इस भंडार का उपयोग किया जा सके।
ग्लोबल मार्केट में गैस की कीमतों में कमजोरी को देखते हुए तेल कंपनियों ने नॉन सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर के दाम 82.50 रुपए घटा दिए हैं।
9 दिनों से क्रूड ऑयल की कीमतों में जारी तेजी सरकार और आम आदमी को एक बार फिर डराने लगी है। 20 जनवरी से लेकर अब तक क्रूड 25 फीसदी तक महंगा हो चुका है।
वर्ल्ड बैंक ने क्रूड की कीमतों के अनुमान में कटौती कर दी है। बैंक ने 2016 के लिए अनुमान को 51 डॉलर से घटाकर 37 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है।
क्रूड की कीमतों में गिरावट और गहराती जा रही है। बुधवार को क्रूड 2003 के बाद पहली बार 27 डॉलर के नीचे फिसल गया। इस साल कीमत 25 फीसदी से अधिक गिर चुकी है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि उतार चढ़ाव वैश्विक नियम बन गया है। लेकिन भारत निश्चित रूप से अनुकूल वैश्विक माहौल में 8-9 फीसदी की ग्रोथ हासिल कर सकता है।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की चेतावनी से एशियाई बाजार में अमेरिकी क्रूड का भाव 28 डालर प्रति बैरल से नीचे आ गया। यह इसका 12 साल का नया निचला स्तर है।
IMF अगले वित्त वर्ष के लिए भारत की डीजीपी ग्रोथ 7.5 रहने के अपने पहले के अनुमान को कायम रखा है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं होगा।
जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के मुताबिक तेल उत्पादक देश इस साल 240 अरब डॉलर (करीब 16,23,992 करोड़ रुपए) की इंटरनेशनल संपत्ति बेच सकते हैं।
निर्यात के मोर्चे पर सरकार को भारी झटका। दिसंबर में लगातार 13वें महीने भी गिरा निर्यात। दिसंबर में निर्यात 14.75 फीसदी घट कर 22.2 अरब डॉलर रह गया।
ईरान से प्रतिबंध हटने के बाद भारी गिरावट का सामना कर रहे क्रूड ऑयल बाजार में कोहराम मच गया है। सोमवार को क्रूड ऑयल की कीमत 29 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ गई।
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