सरकार और अर्थव्यवस्था के लिए यह खबर झटका देने वाली है। मई में आठ बुनियादी कोर सेक्टर की वृद्धि दर घटकर 2.8 फीसदी रही है। पिछले साल यह दर 4.4 फीसदी थी।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले सप्ताह रिकॉर्ड स्तर को छूने के बाद 10 जून को समाप्त सप्ताह में 23.1 करोड़ डॉलर घटकर 363.23 अरब डॉलर रह गया।
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पेट्रोल और डीजल की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी की घोषणा की गई हैं। पेट्रोल 5 पैसे प्रति लीटर और डीजल 1.26 रुपए महंगा हो गया है।
देश की सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया की हालत इतनी खराब है कि अगर सरकार इसे बेचना चाहे तो भी कोई खरीदारी नहीं मिलेगा। कंपनी पर 50,000 करोड़ का कर्ज है।
पेट्रोल-डीजल के दामों में एक बार फिर बढ़ोतरी हो सकती है। क्रूड यानी कि कच्चे तेल की कीमत इंटरनैशनल मार्केट में 52.50 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर हैं।
सरकार ने कहा कि कच्चे तेल के भाव 60 डॉलर प्रति बैरल के नीचे बने रहें तो उसके राजकोषीय समीकरणों और मुद्रास्फीति की गणना प्रभावित नहीं होगी।
नाइजीरिया की सप्लाई चिंता और डॉलर में कमजोरी के कारण कच्चे तेल की कीमतें बढ़ कर 52.34 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं जो वर्ष 2016 का उच्चतम स्तर है।
सउदी अरब ने देश को कच्चे तेल आधारित अर्थव्यवस्था की राह से निकाल कर औद्योगिक विविधीकरण के विस्तार की एक महत्वाकांक्षी सुधार योजना शुरु करेगा।
ऑस्ट्रेलिया में पेट्रोल की कीमत 1999 के बाद निचले स्तर पर आ गई है। यह जानकारी सोमवार को जारी हुई एक रिपोर्ट से मिली। 81.4 अमेरिकी सेंट प्रति लीटर रही।
भारत ने खनिज तेल से संपन्न खाड़ी देश कतर में तेल और गैस की खोज एवं विकास की नई परियोजनाओं में हिस्सेदारी के प्रति रूचि दिखाई है।
अरूण जेटली ने कहा, भारत कच्चे तेल मूल्यों के मौजूदा स्तर से निपट सकता है लेकिन इसके और महंगा होने से इसका अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
पिछले पांच हफ्ते में पेट्रोल 4.47 रुपए और डीजल 6.46 रुपए प्रति लीटर मंहगा हो चुका है। इसके कारण फ्यूल के दाम पिछले एक साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं।
मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने दो वर्ष पूरे कर तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रही है। लेकिन आने वाला यह तीसरा साल बीते दो वर्षों की तुलना में ज्यादा चुनौतीपूर्ण साबित होने वाला है।
भारत ने ईरान से यहां एक तेल क्षेत्र के परिचालन का अधिकार मांगा है, ताकि यहां से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया जा सके।
एशियाई बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें 2016 के नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक आने वाले दिनों में भी तेजी जारी रहेगी।
एक बार फिर देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है। इस बार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे ईरान हो सकता है।
वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की आपूर्ति का आधिक्य इस साल नाटकीय रूप से कम होगा।
ईरान ने भारत को कच्चे तेल की नि:शुल्क ढुलाई बंद कर दी है। रिफाइनरी कंपनियों को ढुलाई का प्रबंध खुद करने को कहा गया है।
दुनिया भर में तेल कुओं की खोज 60 साल में सबसे निचले स्तर पर आ गई है। अगर हालात ऐसे रहे तो अगले 10 वर्षों में क्रूड सप्लाई डिमांड के मुकाबले घट सकती है।
ONGC का कच्चे तेल का उत्पादन 2015-16 में लगातार दूसरे साल बढ़ा है, लेकिन प्राकृतिक गैस का उत्पादन लगातार घट रहा है।
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