देश में पेट्रोल और डीजल के दाम भले ही रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हों लेकिन जिस रफ्तार से अमेरिका में ऑयल रिग्स की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है उसे देखते हुए लग रहा है कि सस्ते पेट्रोल और डीजल वाले अच्छे दिन फिर से वापस लौट सकते हैं। अमेरिका में ऑयल रिग्स के बारे में आंकड़े जारी करने वाली संस्था बेकर हग्स के ताजा आंकड़ों के मुताबिक ऑयल रिग्स की संख्या 3 साल के ऊपरी स्तर तक पहुंच गई है
कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी और स्थानीय स्तर पर सरकारी प्रतिभूतियों से आय में वृद्धि के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले आठ कारोबारी दिनों में घरेलू पूंजी बाजार से 12,671 करोड़ रुपये (करीब दो अरब डॉलर) की निकासी की।
बैंकों और आयतकों की ओर से डॉलर की सतत मांग के चलते अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया आज पांच पैसे की गिरावट के साथ 15 माह के ताजा निम्न स्तर 67.32 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ
बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच ने अपनी रिपोर्ट में ब्रेंट क्रूड के औसत भाव के अनुमान को बढ़ाकर 71.8 डॉलर प्रति बैरल कर दिया गया है। पहले उसने चालू वित्त वर्ष में इसके 62.5 डॉलर प्रति बैरल पर रहने का अनुमान लगाया था। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए इसे 60 डॉलर प्रति बैरल के अनुमान से बढ़ाकर 75.3 डॉलर प्रति बैरल किया गया है
अमेरिकी करेंसी डॉलर में आई तेजी की वजह से भारतीय करेंसी रुपए में एकतरफा गिरावट देखी जा रही है। डॉलर का भाव बढ़कर 67 रुपए के पार चला गया है जो फरवरी 2017 के बाद सबसे अधिक भाव है। रुपए में आई इस गिरावट से मौजूदा हालात में फायदा कम और नुकसान ज्यादा नजर आ रहा है।
कर्नाटक चुनाव की वजह से देश में 2 हफ्ते से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने की वजह से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर दाम बढ़ाने का दबाव बढ़ रहा है
मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 75 डॉलर प्रति बैरल के करीब है और घरेलू स्तर पर पेट्रोल का दाम 75-80 रुपए प्रति लीटर है, अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 300 डॉलर तक पहुंचता है तो घरेलू स्तर पर पेट्रोल की कीमतों के भी 300 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंचने से इनकार नहीं किया जा सकता।
एचडीएफसी तथा कोटक महिंद्रा बैंक जैसी बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजों तथा कच्चे तेल की कीमतों, वृहद आर्थिक आंकड़ों और रुपए के उतार-चढ़ाव से इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा तय होगी। शेयर बाजार मंगलवार को ‘महाराष्ट्र दिवस’ के मौके पर बंद रहेंगे।
भारतीय अर्थव्यवस्था वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ रही है और चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि की दर 7.5 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान है। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता फर्म डॉयचे बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 75 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गए हैं जो नवंबर 2014 के बाद सबसे अधिक कीमत है। कच्चे तेल की कीमतों में आई इस तेजी की वजह से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की लागत बढ़ेगी
सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जब से रोजाना बदलाव करना शुरू किया है तब से लेकर अबतक इनकी कीमतों में जो बढ़ोतरी हुई है वह किसी भी एक साल में हुई अबतक की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है
क्रूड ऑयल की लगातार बढ़ती कीमतों के बीच सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालेद अल फालेह ने कहा कि वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की ऊंची कीमतें वहन करने की क्षमता है।
घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल के और महंगा होने की आशंका भी बढ़ गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 75 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है, गुरुवार को ब्रेंट क्रूड के भाव ने 74.24 डॉलर प्रति बैरल का ऊपरी स्तर छुआ है जो 41 महीने में सबसे ज्यादा भाव है
आज देश की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस के मार्च तिमाही नतीजे घोषित होने हैं, बाजार अच्छे नतीजों की उम्मीद लगाए हुए है और नतीजों पर नजर टिकी हुई है। टीसीएस के नतीजों से पहले आज शुरुआती कारोबार में आईटी सेक्टर की अन्य कंपनियों में भी मजबूती देखी जा रही है
पेट्रोल-डीजल: सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि दिल्ली से सटे NCR के दूसरे शहरों में भी डीजल की कीमतों ने नई रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ है
रुपए में आई इस कमजोरी की वजह से मौजूदा हालात में फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता नजर आ रहा है, इसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा
महंगे क्रूड और कमजोर रुपए की वजह से तेल कंपनियों की लागत बढ़ गई है और इस लागत को ग्राहकों से वसूलने के लिए तेल कंपनियां पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और बढ़ोतरी कर सकती हैं
शेयर बाजार आज पूरी तरह से करेंसी की गिरफ्त में है, रुपया 5 महीने के निचले स्तर पर है जिस वजह से सबसे ज्यादा तेजी आईटी कंपनियों में है और इसी वजह से सबसे ज्यादा गिरावट तेल कंपनियों के शेयरों में है
डीजल का भाव पहले ही देश में रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और पेट्रोल की कीमतें करीब 4 साल के ऊपरी स्तर पर हैं, ऐसे में अगर भाव और बढ़ा तो उपभोक्ताओं पर खराब असर पड़ेगा
हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की वजह से आज ऑयल मार्केटिंग कंपनियों पर दबाव देखा जा रहा है, कच्चे तेल का भाव 40 महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया है
लेटेस्ट न्यूज़